उन्मुक्त उड़ान मंच के इस सप्ताह के आयोजन का विषय “स्वतंत्रता दिवस से जुड़ा बचपन या बाद का कोई संस्मरण” रहा। इस विषय ने रचनाकारों को अपने अंतस में झाँककर बचपन की मासूम यादों और बाद के अनुभवों को शब्दों में संजोने का अनुपम अवसर प्रदान किया।
बचपन की स्कूल परेडें, तिरंगे संग गीत, मिठाई की प्रतीक्षा, कार्यालयों में ध्वजारोहण और स्वतंत्रता की अनुभूति से जुड़ी जाने कितनी ही कहानियाँ इस विषय पर संस्मरण बनकर मंच पर उतरीं।
नीरजा शर्मा ‘अवनि’ के सारगर्भित विषय-निर्धारण और मंच की संरक्षिका डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के कुशल मार्गदर्शन में यह आयोजन जैसे सावन में यादों की अनुपम बौछार लेकर आया।
इस आयोजन को अपनी सहभागिता से समृद्ध किया -डॉ. अनीता राजपाल ‘अनु वसुंधरा’, रेखा रावत, निशा कौल शर्मा, भगवत मिश्रा, अनिल जैन, देवेश्वरी खंडुरी, रामेश्वर बिलहेरिया, रेखा पुरोहित’ तरंगिणी’ अनीता राठौड़, सुरेन्द्र बिंदल, मनजीभाई बावलिया, परमा दत्त झा, संगीता चमोली ‘इन्दुजा’, संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’, दिव्या भट्ट ‘स्वयं’, सुरेश सरदाना, अशोक दोशी ‘दिवाकर’, स्वर्णलता सोन ‘कोकिला’ एवं कुसुमलता ‘तरुषि’ ने। सभी रचनाकारों ने अपने अनूठे अंदाज़ में स्मृतियों को शब्द दिये और स्वतंत्रता दिवस की अनुभूतियों को हृदय तक पहुँचाया।
प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के युवाओं के मुद्दों, उनकी उपलब्धियों और उनकी भूमिका को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना और उन्हें अपने समुदायों और राष्ट्रों के लिए सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस दिवस को सार्थक करने के लिए सुरेश चंद्र जोशी सहयोगी के निरूपण में युवा तन युवा मन विषय पर 22 सृजनकारों ने अपने शब्दों और भावों को स्वर देकर मंच गुंजित किया| उसके पश्चात विभाजन (14 अगस्त-विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस) पर 16 रचनाकारों ने दिव्या भट्ट स्वयं के निरूपण में अपने उद्गार व्यक्त किए| स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में जब हम सिर्फ झंडा नहीं फहराते, बल्कि अपने विचारों को भी ऊँचाई देते हैं और आज़ादी केवल अतीत की उपलब्धि नहीं, बल्कि वर्तमान की जिम्मेदारी और भविष्य का संकल्प भी है के भाव लिए सुनील भारती आज़ाद सौरभ के निरूपण में रचनाकारों ने भावों को अभिव्यक्त किया| भगवान श्रीकृष्ण के समस्त बाल लीलाओं का वर्णन एवं अपने मन के भावों की माला पिरोकर जन्मोत्सव पर सुमन किमोठी वसुधा के विषय प्रवर्तन में सुंदर सुंदर रचनाएं लिख कर मंच को सुशोभित करा|
इस अनूठे सप्ताह का विशेष आकर्षण रहा कवियों द्वारा मंच पर स्वतन्त्रता दिवस, तिरंगा और भारत के शौर्य एवं बलिदान की गाथा पर अपनी प्रस्तुति देना| सुरेश चंद्र जोशी सहयोगी, अंजु श्रीवास्तव, वीरेंद्र जैन, अशोक दोशी दिवाकर, डॉ अनीता राजपाल अनु वसुंधरा, कृष्ण कान्त मिश्र कमल, संजीव कुमार भटनागर सजग, पुरुषोत्तम लाल तिवारी, सरोज डिमरी, रेखा पुरोहित, फूल चंद्र विश्वकर्मा, सुनील भारती आज़ाद सौरभ, नीतू रवि गर्ग कमलिनी, दिव्या भट्ट स्वयं वीना टंडन पुष्करा, अनु तोमर अग्रजा, रंजना बिनानी, स्वर्णलता सोन कोकिला, संतोषी किमोठी वशिष्ठ, सुमन किमोठी और डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका”ने अपने ओजस्वी भावों से मंच को गुंजायमान किया| कार्यक्रम का समापन मंच की संस्थापिका, अध्यक्षा, संयोजिका और संचालिका डॉ दवीना अमर ठकराल” देविका” ने सभी कर्मठ, कर्मशील, प्रतिबद्धित, अनुशासित, नियमित, समर्पित व आस्थावान सहभागी सृजनकारों के प्रति आभाराभिव्यक्ति व समीक्षात्मक अभिव्यक्ति से किया|
उन्मुक्त उड़ान मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम का संयोजन और सृजनात्मक रूप से सौंदर्यपूर्ण प्रारुपित नीरजा शर्मा ‘अवनि’ और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ द्वारा किया गया। हर आयोजन की निरंतर समीक्षा अशोक दोशी दिवाकर और सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी’ द्वारा की गई, जबकि कृष्ण कान्त मिश्र ‘कमल’ और संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ ने रचनात्मक समालोचना और चयन कर विज्ञप्ति को विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया।
डॉ दवीना जी के शब्दों में यह आयोजन उन्मुक्त उड़ान मंच की उस सोच को साकार करता है, जहाँ साहित्य और साधना का संगम न केवल आत्मिक उन्नति का द्वार खोलता है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य-चेतना की गहरी स्थापना भी करता है।