कुरुक्षेत्र/मेलबर्न, प्रमोद कौशिक, विनायक कौशिक 16 अगस्त : डॉ. सुभाष गौड़, जिनका दिल भारत की पवित्र मिट्टी की सौंधी खुशबू से आज भी महकता है, भले ही वे ऑस्ट्रेलिया की धरती पर बस गए हों, पर उनकी आत्मा में भारतीय संस्कार और देशप्रेम की जड़ें गहरी हैं। कुरुक्षेत्र के सैक्टर 13 से निकलकर मेलबर्न की ऊँची उड़ान तक, उन्होंने न केवल अपने सपनों को पंख दिए, बल्कि अपने वतन के प्रति अगाध प्रेम और समाज सेवा के प्रति समर्पण को भी जीवंत रखा। भारतीय संस्कृति की मशाल को थामे, वे मेलबर्न में भी उसी जोश और जुनून के साथ समाज की सेवा को अपना परम धर्म मानते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, मेलबर्न में भारत के महावाणिज्य दूतावास में आयोजित समारोह में डॉ. सुभाष गौड़ ने न केवल उत्साहपूर्वक भाग लिया, बल्कि अपने ओजस्वी भाषण से सभी के दिलों को छू लिया। उनके शब्दों में देशभक्ति की गूंज थी, जो उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में गहरे उतर गई। इस अवसर को और भी विशेष बनाते हुए, उन्होंने अपनी दो अमूल्य कृतियों—‘संचार’ और ‘मानव संसाधन’ हिंदी भाषा में लिखित पुस्तकों को महावाणिज्य दूतावास की लाइब्रेरी के लिए भेंट किया। ये पुस्तकें न केवल उनके गहन चिंतन और लेखन कौशल का प्रतीक हैं, बल्कि हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी एक महत्वपूर्ण योगदान हैं।
यह पल न केवल डॉ. सुभाष गौड़ के लिए, बल्कि मेलबर्न के भारतीय समुदाय के लिए भी अविस्मरणीय बन गया। वे जहाँ भी जाते हैं, अपने साथ भारतीयता की वह सुगंध ले जाते हैं, जो सभी को एकजुट करती है। समाजसेवा के इस अनुपम प्रतीक, डॉ. सुभाष गौड़, मेलबर्न में रहते हुए भी हर भारतीय को साथ लेकर चलते हैं, और अपने कार्यों से यह सिद्ध करते हैं कि सच्चा देशप्रेम सीमाओं से परे होता है।