उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी से कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया

उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी के प्रबंधक धीरेन्द्र शुक्ल एवं निदेशक विनय शुक्ल ने मां सरस्वती तथा राधा कृष्ण की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर पूजन अर्चन का कार्यक्रम का किया शुभारंभ

बस्ती ( दैनिक अनुराग लक्ष्य ) उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी, बस्ती स्कूल बस्ती में कृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया। प्री प्राइमरी के शिक्षिकाओं ने श्री कृष्ण की लीलाओं का सजीव मंचन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रबंधक धीरेन्द्र शुक्ल एवम् प्रबन्धनिदेशक विनय शुक्ल ने दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती तथा राधा कृष्ण की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पूजन अर्चन करके किया। समस्त कार्यक्रम में प्रबंधक के साथ विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती शशिप्रभा त्रिपाठी ने भी अपनी सहभागिता दर्ज किया। समस्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों में – कृष्ण जन्मोत्सव, श्री कृष्ण की बाल लीला, कंस वध एवं कृष्ण सुदामा की मित्रता आकर्षण का केंद्र बिंदु बन रहा । कृष्ण जन्म से लेकर सुदामा मिलन तक की संक्षिप्त लीलाएं प्रस्तुत की गई। माखन चोरी के लीला को देख सभी बच्चे भाव विभोर एवम् मनमुग्ध हो गए।

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के प्रबंधक धीरेन्द्र शुक्ल जी ने अपने संबोधन में शिक्षकों, शिक्षिकाओं एवं बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि जब-जब अधर्म की वृद्धि और धर्म की हानि होती है, तब-तब प्रभु किसी न किसी रूप में अवतार लेकर के मानव जाति को संदेश देते हैं।

इसी क्रम में विद्यालय के प्रबंधनिदेशक विनय शुक्ल जी ने अपने संबोधन में कहा श्रीकृष्ण केवल एक धार्मिक प्रतीक ही नहीं, बल्कि सत्य, धर्म, प्रेम, करुणा और ज्ञान के प्रेरणास्रोत हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन हमें यह सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, धैर्य, बुद्धिमत्ता और सही निर्णय हमें हमेशा विजय की ओर ले जाते हैं। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – अर्थात हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता किए बिना। यह शिक्षा हमारे जीवन और शिक्षा, दोनों में समान रूप से महत्वपूर्ण है। अंत में उन्होंने कृष्ण शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि कर्षयति इति कृष्ण: जो सभी का ध्यान अपनी ओर हठात आकर्षित करें, उसे ही कृष्ण कहते हैं । उन्होंने सभी लोगों को जन्माष्टमी को शुभकामनाएं दी ।

कार्यक्रम का समापन विद्यालय की प्रधानाचार्या महोदया के संबोधन से हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि राम का चरित्र परम पवित्र है और श्याम का चरित्र परम विचित्र है राम का चरित्र अनुकरणीय है और कृष्ण का चरित्र वंदनीय है। राम ने जो किया है हमें वह करना चाहिए और श्याम ने जो कहा है हमें वह करना चाहिए । अंत में उन्होंने सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रतिमा के सिंह, दिपाली गुप्ता, शिप्रा श्रीवास्तव, आर्चना जायसवाल, पूनम, मधुप्रिया मिश्रा आदि शिक्षक एवं शिक्षिकाएं मौजूद रहे।