13 वर्ष की उम्र में देश के लिये दिया था बलिदान
बस्ती ( दैनिक अनुराग लक्ष्य ) गुरूवार को अखिल भारतीय प्रजापति ‘कुम्भकार’ महासंघ जिलाध्यक्ष राम मिलन प्रजापति की अध्यक्षता में बड़े वन के निकट स्थित एक मैरेज हाल के सभागार में देश के लिये 13 वर्ष की उम्र में शहीद हो जाने वाले रामचन्द्र विद्यार्थी को उनके बलिदान दिवस पर याद किया गया।
महासंघ के हरिकेश प्रजापति ने रामचन्द्र विद्यार्थी के बलिदान पर प्रकाश डालते हुये कहा कि देवरिया जिले के शहीद रामचंद्र विद्यार्थी गांधी जी के आह्वान पर, ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन’ में कूद गए थे। कहा जाता है कि आंदोलन में हिस्सा लेने के वक्त वे कक्षा 5 के छात्र थे। 14 अगस्त 1942 को वे घर से बिना बताए ही स्कूल से भागकर देवरिया पहुंच गए थे। उन्होंने कचहरी की छत पर लगा अंग्रेजों का यूनियन जैक फाड़ कर फेंक दिया था। एक मासूम बच्चे का यह दुस्साहस देख अंग्रेजों ने विद्यार्थी पर धुआंधार गोलियां चलायीं। मगर आजादी का यह दीवाना गोलियों से छलनी होने के बावजूद भी, मां भारती के जय घोष के साथ तिरंगा फहराने में सफल हुआ और अंत में शहीद हो गया। 13 वर्ष की उम्र में देशभक्ति का ऐसा जज्बा पूरे विश्व के इतिहास में बिरला ही मिलता है। रामचन्द्र विद्यार्थी का जन्म 1 अप्रैल 1929 को छोटी गंडक नदी के किनारे स्थित देवरिया तहसील के नौतन हथियागढ़ गांव में हुआ था।
महासंघ के प्रदेश सचिव दिनेश प्रजापति, मधुसूदन प्रजापति, गजेन्द्र कुमार प्रजापति, हरीश कुमार प्रजापति ने कहा कि नई पीढी को रामचन्द्र विद्यार्थी के बलिदान से प्रेरणा लेना चाहिये। कहा कि शहीद रामचंद्र विद्यार्थी के पैतृक गांव में उनकी प्रतिमा लगाई गई है। शहीद की याद में गांव के बच्चे उनकी प्रतिमा देखकर गर्व का अनुभव करते हैं। देश आजाद होने के बाद 1949 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु शहीद के गांव नौतन हथियागढ़ आए। जहां उन्होंने विद्यार्थी के माता-पिता को चांदी की थाली और चांदी का गिलास देकर सम्मानित किया था।
शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी को बलिदान दिवस पर नमन् करने वालों में अखिलेश प्रजापति, दिलीप कुमार प्रजापति, महेन्द्रनाथ प्रजापति, दिनेश कुमार प्रजापति, अमित प्रकाश प्रजापति, मेहीलाल प्रजापति, विजय प्रजापति, अभिषेक कुमार, अखिलेश, शैलेष कुमार के साथ ही महासंघ के अनेक पदाधिकारी, कार्यकर्ता शामिल रहे।