मुंबई की भीड़ में एक सच्चा कलमकार शायर साहिल प्रतापगढ़ी

मुंबई की भीड़ में एक सच्चा कलमकार शायर साहिल प्रतापगढ़ी,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 13 जुलाई

मुम्बई संवाददाता ।

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुंबई के अदबी और साहित्यिक गतिविधियों में शामिल हो कर अपने बेहतरीन कलाम से सबको आकर्षित करने वाले साहिल प्रतापगढ़ी को आज भरपूर प्यार और दुलार मिल रहा है। आज उन्हीं की एक अनूठी ग़ज़ल से आपको रूबरू करा रहा हूँ।

1/ रकीबों से युं मिल कर न मेरे दिल को जलाओ तुम,

झुका है सर मेरा ये लो अजी खंजर उठाओ तुम ।

2/ यूं ही दिल तोड़कर जान मोहब्बत में यह धोखा है,

क्या झूठे थे तेरे वादे तेरी कसमें बताओ तुम ।

3/ मिले हो तुम ज़माने बाद ऐसी भी क्या जल्दी है,

अभी रुक जाइए थोड़ा बहाने न बनाओ तुम ।

4/ जलादो खत मेरे सारे मिटा दो हर निशानी को,

जिएं कैसे तेर बिन हम हमें इतना बता दो तुम ।

5/ यह नफ़रत का अंधेरा कब तलक फैला के रखोगे,

मुहब्बत की शमां दिल में मेरे हमदम जलाओ तुम ।

6/ तेरी नज़रें हैं मयखाना मैं मयकश हूं वफाओं का,

मेरे साकी यूं साहिल से निगाहें न चुराओ तुम ।