पूर्णिमां की आत्मकथा*🛕 आचार्य सुरेश जोशी

🌹🌹ओ३म् 🌹🌹
🛕 *पूर्णिमां की आत्मकथा*🛕
आज के युग में *अध्यात्म व धर्म* प्रोफेशनल यानि *व्यवसाय* बन चुका है।इसीलिए शास्त्रों के सत्य अर्थों को बदलकर *तथाकथित धर्माचार्य* उनको रोचक एवं उन अर्थों का अनर्थ कर उनका आधुनिकी करण कर झूठी वाह-वाही लूट रहे हैं।किसी कवि ने इसका सुदर चरित्र चित्रण करते हुए लिखा है।
*गुरु लोभी चेला लालची, दोनों खेलें दांव।*
*भव सागर में डूबते बैठ पत्थर की नाव।।*
यही स्थिति आज *सृष्टि के पावन पर्व पूर्णिमां* के साथ हो रहा है।कोई व्यास पूर्णिमां🌸 कोई बुद्ध पूर्णिमां🌸 तो कोई श्रावण🌸 कोई गुरु पूर्णिमां 🌸 कहता है।ऐसे में *सत्य का निर्णय* कैंसे हो? इसी समस्या को सुलझाने के लिए मैं *🛕गुरु-शिष्य संवाद*🛕 द्वारा आपको बताने जा रहा हूं जिससे आप *सत्य को ग्रहण और असत्य को छोड़ने में* समर्थ हो सकें।इस संवाद को निस्वार्थ भाव से पढ़ें!
✍️ *शिष्य की जिज्ञासा*✍️
गुरुदेव! ये पूर्णिमां क्या है?
🥣 *गुरु का समाधान*🥣
ईश्वर ने जब सृष्टि बनाई तो काल=समय भी बनाया और समय को संवत्सर,ऋतुओं,मास,पक्ष आदि में विभाजित किया।उसी मास को १५-१५ दिन में बांटा।उन १५ दिनों को कृष्ण व शुक्ल दो पक्षों में विभाजित किया। *कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आमावस्या और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमां* कहा जाता है।इसके बाद कुछ पूर्णिमाएं विशेष हैं जिसमें 🌸कार्तिक पूर्णिमा🌸माघ पूर्णिमा🌸शरद पूर्णिमा 🌸 आषाढ़ी पूर्णिमा
✍️ *शिष्य की जिज्ञासा*✍️
गुरुदेव! बुद्ध पूर्णिमा क्या है?
🥣 *गुरु का समाधान*🥣
बुद्ध पूर्णिमा महात्मा बुद्ध के सम्मान में बौद्ध मतावलंबी मनाते हैं।उनके अनुसार भगवान बुद्ध को *बोधगया में आत्मबोध हुआ* ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ में *प्रथम पाञ्च शिष्यों* को आज यानि पूर्णिंमा के दिन ही *पहला उपदेश* दिया। बौद्ध संस्कृति में इसे *धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस* के रुप में मनाया जाता है।मतलब महात्मा बुद्ध यानि आज से *चार हजार* वर्ष पूर्व कोई *बुद्ध पूर्णिमा* नहीं होती थी।
*✍️शिष्य की जिज्ञासा*✍️
गुरुदेव! ये व्यास पूर्णिमा का इतिहास क्या है?
*🥣गुरु का समाधान🥣*
द्वापर युग में *कृष्ण द्वैपायन महर्षि वेद व्यास* वेदों के उद्भट्ट विद्वान व धर्मात्मा थे। विद्वानों का मानना है इसी पूर्णिमां पर उनका धरती पर अवतरण हुआ था।महापुरुषों का जन्म दिन मनाकर उनसे प्रेरणा लेना धर्मसम्मत कार्य है। इसी को *आषाढ़ी पूर्णिमा* भी कहते हैं

*✍️शिष्य जिज्ञासा*✍️
गुरुदेव! गुरु-पूर्णिमा क्या है?
*🥣 गुरु का समाधान!*🥣
जो गुरुजन श्रावण पूर्णिमां पर गुरुकुल का नया सत्र प्रारंभ कर विद्यार्थियों को *यज्ञोपवीत देते थे।गुरु मंत्र गायत्री का अर्थ सहित पाठ कराते थे।वेद-वेदांग,व्याकरण,दर्शन,उपनिषदों* का अध्ययन कराते थे।ऐंसे गुरुओं की आज्ञा का पालन,उनकी सेवा सुश्रुषा,ईश्वर की उपासना कर धर्म प्रचार करना *गुरु-पूर्णिमा* का सार्वभौमिक संदेश आम प्रजा के लिए होता था।आज इसका रूप बहुत ही विकृत हो गया है।
*✍️शिष्य जिज्ञासा*✍️
लोग कहते हैं गुरु का दर्जा ईश्वर से भी बड़ा होता है।इस विषय में वो निम्न प्रमाण देते हैं।क्या ये प्रमाण सही है?
*गुर्रूबह्मा गुर्रुविष्णु,गुर्रूर्देवो महेश्वर:,*
*गुरू:साक्षात्परं ब्रह्म,तस्मै श्री गुरूवे नम:।।*
*🥣गुरु का समाधान*🥣
गुरु बहुत ही सम्मान के पात्र होते हैं गुरु का अर्थ होता है। *गु माने अंधकार।रु माने प्रकाश।अर्थात् जो हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश यानि ज्ञान का मार्ग बताते हैं उन्हें गुरु कहते हैं।और ये गुरु तीन है।१-माता 🌸 २- पिता 🌸 ३- आचार्य।*
इन तीनों गुरुओं का जीवन पर्यंत 🌸अन्न 🌸जल 🌸वस्त्र 🌸धन🌸 औषधि 🌸 मधुर वाणी से सम्मान करना हमारा अनिवार्य मानवी कर्म है।इसे करना ही नहीं चाहिए।जो इन गुरुओं की उपेक्षा करता है वो कभी ईश्वर भक्त हो ही नहीं सकते!
परंतु इतना ही कटु सत्य यह भी है कि मानव शरीर धारी कोई भी गुरु कभी भी *न ईश्वर हो सकता है न ईश्वर से बड़ा* हो सकता है।
🪔 *विचारणीय विंदु*🪔
*[१]* प्रथम यह श्लोक न वेद का है। न ब्राह्मण ग्रंथ। न दर्शन।न उपनिषद।न व्याकरण।न महाभारत।न ही बाल्मीकि रामायण। *यही ग्रंथ प्रामाणिक हैं।* इनके अतिरिक्त मनुष्यों के ग्रंथ प्रामाणिक नहीं माने जाते।यह श्लोक किसी मानव द्वारा कल्पित है।
*[२]* यह श्लोक किसी शिष्य ने अपने गुरु की अतिशयोक्ति में लिखा गया ऐंसा मानना चाहिए।क्योंकि कोई भी योग्य गुरु अपनी महिमा में खुद ही शास्त्र लिखने का साहस नहीं करेगा!
*[३]* कुछ लोग कहते हैं इस श्लोक *गुरु गीता* में है।कुछ कहते हैं इस ग्रंथ को भगवान शंकर तो कुछ कहते हैं महर्षि वेदव्यास ने लिखा है। जिसने भी लिखा है है यह *वेद-दर्शन ,वैदिक सत्य सनातन मान्यताओं* के विपरीत ही।
*[४]* अब इसके अर्थ पर विचार करें।
*(अ)* गुरु ब्रह्मा है।ब्रह्या का मतलब सृष्टि को उत्पन्न करने वाला? जो गुरु अपना शरीर भी नहीं बना सकता वो सृष्टि कैंसे बनायेगा?
*(आ)* गुरु विष्णु है।विष्णु का अर्थ है ब्रह्माण्ड का पालन करने वाला।जिस गुरु के शरीर का पालन स्वयं ईश्वर करते हैं वो विष्णु कैंसे?
*(इ)* महेश का अर्थ है सृष्टि का प्रलय करने वाला। जो गुरु यही नहीं जानता कि वो खुद कब मरेगा वो संसार का प्रलय करके महेश कैंसे हो जायेगा?
थोड़ी देर के लिए यह कह सकते हैं कि जैंसे ब्रह्मा सृष्टि को पैंदा करता है वैंसे गुरु शिष्य में विद्या पैंदा करता है।जैंसे विष्णु संसार का पालन करता हैं वैंसे गुरु शिष्य के ज्ञान की रक्षा करता है।जैंसे महेश सृष्टि का प्रलय करता है वैंसे गुरु भी शिष्य का अंधकार दूर करता है इसलिए गुरु में *[०.१%]* शून्य दशमलव एक प्रतिशत गुण *ब्रह्मा,विष्णु,महेश* जैंसे हैं।इतना गुरु की महिमा में चल सकता है।मगर इसका अर्थ यह करना की गुरु ही *साक्षात् ब्रह्म है* यह ईश्वर का अपमान है।
🌻 *आजकल के शिष्य*🌻
जैंसे आजकल के कतिपय गुरु हैं।ऐंसे ही उनके शिष्य उनसे भी एक कदम आगे हैं।उनके चार सिद्धांत हैं।
*[१]* कुछ लोग शरीर देखकर गुरु बनाते हैं।गुरु का शरीर हैंडसम है या नहीं ये *स्थूल दृष्टि* है।
*[२]* कुछ लोग सोचते हैं गुरु हैंडसम तो है मगर पैंसा कमाते हैं कि नहीं ये *वैश्य दृष्टि* है।
*[३]* कुछ लोग कहते हैं गुरु उसी को बनायें जिसके पास महल,कार,चेले,चेलियां,बाडी गार्ड व प्रापर्टी व बड़े-बड़े आश्रम हों।यह *क्षत्रिय दृष्टि* है।
*[४]* कुछ लोग देखते हैं कि वेद शास्त्र पढ़ा है कि नहीं।व्याकरण जानता है कि नहीं।यह *ब्राह्मण दृष्टि* है।
🪷 *साधक शिष्य वीतराग गुरु*🪷
जो उच्च कोटि के जिज्ञासु हैं वो देखते हैं कि जिसे हम गुरु बना रहे हैं वो साधना करते हैं या नहीं।ईश्वर से उनका संबंध है भी या नहीं।इसे सबसे उत्तम *योग-दृष्टि* कहते हैं।ऐसे शिष्य व गुरु विरले ही होते हैं।
*✍️शिष्य जिज्ञासा*✍️
गुरु की सेवा कैंसे करें?
*🥣गुरु का समाधान🥣*
पहले आप यह जानें की संसार में प्रत्येक मानव के तीन गुरु हैं जिनका वर्णन *वेद-दर्शन,उपनिषद,ब्राह्मण ग्रंथ,व्याकरण,महाभारत,मनु स्मृति में हैं।* यही प्रामाणिक शास्त्र हैं।
माता-पिता-आचार्य के हमारे ऊपर अनगिनत उपकार हैं। इनकी आज्ञाओं का पालन।समय-समय पर *मधुर भोजन।औषधि।वस्त्र।जल।आवास।मधुर वाणी।धन दान* द्वारा उनका आशीर्वाद प्राप्त करना उनकी सेवा है।
एक चौथा गुरु परमात्मा है जो *गुरुओं का भी गुरु है* प्रात: सायं उसका कम से कम एक घंटा ध्यान करें।तभी यह मानव जीवन सफल होगा।पाखंडी गुरुओं से बचें।
✍️ *शिष्य की पहचान*✍️
योग्य गुरु की पहचान कैंसे करें?
*🥣गुरु का समाधान*🥣
गुरु बनाने से पहलें निम्न प्रकार की परीक्षा लें।केवल एक बार।बार-बार परीक्षा करना शिष्य की अयोग्यता कहलाती है।
*[१]* जो भी गुरु अपने को भगवान या भगवान से बड़ा कहता है उसे भूलकर भी गुरु न बनायें।अन्यथा वह तो डूबेगा ही आपको भी डुबायेगा।
*[२]* यह देखें कि उसके *मन-वाणी व व्यवहार* में एकता है या नहीं।
*[३]* वह वेद व ऋषि परंपरा पर चलता है या नहीं।
*[४]* वाणी में सयंम है या नहीं।तत्वज्ञान है भी या नहीं।
*[५*] क्रोध पर नियंत्रण है या नहीं।
🔴 *सार तत्व* 🔴
*गुरु मिलिया तब जानिये,मिटे मोह संताप।*
*हर्ष शोक व्यापे नहीं,तब गुरु अपने आप।।*
आप सबको सपरिवार *गुरु पूर्णिमा* की हार्दिक शुभकामनाये और समस्त गुरुजनों को सादर नमस्ते!
*आचार्य सुरेश जोशी*