जान! कितने सवाल करते हो

बेवज़ह बस वबाल करते हो
ज़िंदगी को मुहाल करते हो

न किसी का ख़याल करते हो
जान! कितने सवाल करते हो

जी दुखाते हो पहले जी भरकर
बाद इसके मलाल करते हो

खुद ही बर्ख़ास्त करते हो दिल से
खुद ही वापिस बहाल करते हो

अश्क देते हो पहले आँखों में
बाद हाज़िर रूमाल करते हो

अपनी तिरछी नज़र से पढ़ पढ़कर
मेरा चेहरा गुलाल करते हो

जब नज़र को नज़र समझती है
लफ्ज़ क्यों इस्तमाल करते हो

पल में शोला हो पल में हो शबनम
तुम भी क्या-क्या कमाल करते हो

-डॉ कविता” किरण “✍️