उन्मुक्त उड़ान मंच का साप्ताहिक साहित्यिक आयोजन-“उत्तम स्वास्थ्य से आलौकिक साधना तक की यात्रा”*

उन्मुक्त उड़ान साहित्यिक मंच के साप्ताहिक रचनात्मक संगोष्ठी का यह सप्ताह “उत्तम स्वास्थ्य से आलौकिक साधना तक की यात्रा” विषय को समर्पित रहा। एकता गुप्ता “काव्या महक” द्वारा विषय निरूपण में हमारे जीवन में जितना आवश्यक जल, वायु है उतना ही आवश्यक योग है। प्राचीन समय से ही हम भारतीयों की पहचान योग साधना रही है। योग साधना उत्तम स्वास्थ्य से आलौकिक साधना तक की यात्रा का सूचक, पर्याय है। जो हमें शारीरिक, मानसिक, दैविक आध्यात्मिकता से जोड़ता है। योग, ध्यान, आत्मिक अनुशासन और सकारात्मक जीवनशैली पर केंद्रित इस विशिष्ट आयोजन में रचनाकारों ने अपनी सृजनशीलता से आत्मविकास की उस यात्रा को शब्दों में पिरोया, जहाँ तन की शक्ति और मन की शांति मिलकर आत्मा के जागरण की ओर ले जाती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच संरक्षिका डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ जी ने की, जिन्होंने इस विषय की आध्यात्मिक गहराइयों को स्पष्ट करते हुए कहा – “स्वास्थ्य केवल शरीर का नहीं, आत्मा की स्फूर्ति का प्रारंभ भी है।” विचार-श्रृंखला की रचनाओं में कहीं योग के माध्यम से जीवन में आए अनुशासन का चित्रण था, तो कहीं ध्यान और साधना के पथ पर चलती चेतना की झलक। मंजुला सिन्हा, सुनीता तिवारी, संजीव भटनागर ‘सजग’, शिखा खुराना ‘कुमुदिनी’, अशोक दोशी ‘दिवाकर’, डॉ. पूनम सिंह , सुरेन्द्र बिंदल, परमा दत्त झा, मनजीभाई बवलिया, संदीप खेरा, डॉ स्वर्ण लता सोन ‘कोकिला’, अरुण ठाकर ‘जिंदगी’, फुलचन्द्र विश्वकर्मा ‘भास्कर’, दिव्या भट्ट ‘स्वयं’, सुरेश सरदाना, वीना टण्डन ;पुष्करा’, नन्दा बमराडा ‘सलिला’, नीरजा शर्मा ‘अवनि’, किरण भाटिया ‘नलिनी’, अनु तोमर ‘अग्रजा’, डॉ.अनीता राजपाल ‘अनु’ वसुन्धरा, रंजना बिननी ‘काव्या’, संगीता मुरसेनिया सहित 25 से अधिक रचनाकारों ने आलेखन कर इस विषय को जीवंत किया।

विशेष आकर्षण रहा सप्ताह के आरंभ में“रूप घनाक्षरी में पितृ दिवस पर डॉ स्वर्ण लता सोन कोकिला द्वारा प्रवर्तन, उसके बाद विविध काव्य विधाओं—दोहा, हाइकु, गीत, छंदमुक्त काव्य के माध्यम से “रक्तदान महादान” विषय पर संजीव कुमार भटनागर ‘सजग; और “पठन पाठन” राष्ट्रीय पठन दिवस डॉ.अनीता राजपाल ‘अनु’ वसुन्धरा द्वारा विषय निरूपण साथी रचनाकारों की रचना का अनुशीलन और अंत में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विषय “योग से आया हमारे जीवन में बदलाव – हमारी कहानी, हमारी ज़ुबानी” जिसमें योगासन, प्राणायाम और ध्यान के महत्व को संगीतात्मक छंदों और लेखन, संस्मरण विधा के माध्यम से अपने जीवन के बदलाव को प्रस्तुत किया गया। सप्ताह के दौरान कुछ नए रचनाकार मंच से जुड़े जिनकी रचनाओं को पढ़कर उनका उत्साहवर्धन करा गया|

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी रचनाकारों को विशेष सम्मान-पत्र प्रदान किए गए, जो नीरजा शर्मा ‘अवनि’ और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ द्वारा संयोजित और डिज़ाइन किए गए। डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के अनुसार योग से तन बना सजीव, मन हुआ निर्मल शांत, स्वस्थ देह में जगे विवेक, हृदय नहीं कभी क्लांत। प्राणायाम से मिली दृष्टि, ध्यान बना साधना की राह, स्वास्थ्य से शुरू हुई यात्रा, पहुँची अंतर्मन की चाह। सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी; द्वारा की गयी हर आयोजन की समीक्षा और कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ एवं संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ द्वारा विज्ञप्ति के लिए रचनाओं का संकलन और विश्लेषण कार्यक्रम की सफलता के नए मापदंड रचते हैं। उन्मुक्त उड़ान मंच का यह आयोजन यह सिद्ध करता है कि स्वास्थ्य ही साधना का प्रथम द्वार है, और साहित्य के माध्यम से इस बोध को जन-जन तक पहुँचाना एक पुनीत कर्तव्य भी है। मंच भविष्य में भी इसी प्रकार सामाजिक, भावनात्मक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर संवाद एवं सृजन का सेतु बना रहेगा।