लखनऊ, 17 जून – देशभर से आए डाक अभिकर्ताओं ने आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एकत्र होकर डाकघरों में कार्यरत एजेंटों की समस्याओं पर मंथन किया। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में अभिकर्ताओं ने भाग लिया।
सम्मेलन में वक्ताओं ने सरकार की मौजूदा वित्तीय नीतियों की सराहना करते हुए यह कहा कि वे भारत सरकार की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। घर-घर जाकर लोगों से धन संग्रह कर उसे डाकघरों में जमा कराना, न सिर्फ देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है बल्कि आम लोगों को बचत के प्रति जागरूक भी करता है।
हालांकि, अभिकर्ताओं ने सरकार से इस बात पर नाराजगी जताई कि डिजिटल व्यवस्था के आने के बाद कमीशन में लगातार कटौती हुई है। वक्ताओं का कहना था कि आज जब महंगाई चरम पर है, उस समय उनके कमीशन में कटौती एक बड़ा संकट बनकर उभरा है।
सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अलोक परासर ने कहा, “हम डिजिटल इंडिया के समर्थक हैं, लेकिन हमारी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। आज भी देश के दूरदराज इलाकों में लाखों लोग एजेंटों पर निर्भर हैं। ऐसे में एजेंसी व्यवस्था को तकनीकी दृष्टि से अपडेट करना और एजेंटों की भूमिका को सुरक्षित करना जरूरी है।”
अभिकर्ताओं ने बताया कि डाक विभाग के डिजिटलाइजेशन के चलते अब बड़ी संख्या में ग्राहक ऑनलाइन ही लेन-देन कर रहे हैं, जिससे एजेंटों के पास आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो पूरे देशभर में चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा।
अभिकर्ताओं ने मांग की कि:एजेंटों के लिए कमीशन की दर में सुधार किया जाए।कंप्यूटरीकरण के चलते आई असुविधाओं को दूर किया जाए।एजेंटों को सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक स्थिति प्रदान की जाए।