ओ३म्
-कीर्तिशेष हर्षवर्धन आर्य जी की श्रद्धांजलि सभा-
‘आत्मा अमृत है तथा शरीर भस्म होने वाला होता हैः आचार्य अनुज शास्त्री’
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बृहस्पतिवार 12 जून, 2025 को देहरादून की पुलिस लाईन्स रेसकोर्स के निकट स्वर्गपुरी आश्रम में आर्यसमाज के प्रसिद्ध विद्वान् एवं कर्मठ सदस्य श्री हर्षवर्धन आर्य जी (जन्मः 9-4-1958, मृत्युः 7-6-2025) की श्रद्धांजलि सभा सम्पन्न हुई। श्री आर्य जी आर्यसमाज धामावाला देहरादून के आठ वर्षों तक प्रधान रहे। वह आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण एवं उससे लोगों का स्वस्थ रखने में जीवन भर कार्यरत रहे। निडको हर्बल हैरिटेज एवं आर्य वस्तु भण्डार के माध्यम से उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा जनता की उल्लेखनीय सेवा की। हमारे साथ भी उनका व्यवहार प्रेम एवं सद्भावना से परिपूर्ण रहा। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य वक्ता आर्यसमाज के युवा विद्वान आचार्य अनुज शास्त्री जी थे। उन्होंने सभागार में उपस्थित स्त्री पुरुषों को बताया कि सब प्राणियों में विद्यमान आत्मा अमृत अर्थात् अमर है। इसका कभी नाश नहीं होता। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य का शरीर भस्म होने वाला होता है। मनुष्य की मृत्यु होने पर इसको वैदिक रीति से अन्त्येष्टि संस्कार करके भस्म करना उचित होता है। शास्त्री जी ने कहा कि आत्मा मरने के बाद पुर्नजन्म लेता है। यह जन्म उसके मनुष्य जन्म के उन कर्मों के आधार पर होता है जिनका उसने भोग नहीं किया होता। श्रेष्ठ कर्म करने से मनुष्य योनि में जन्म होता है अन्यथा इतर प्राणी योनियों में भ्रमण कर मनुष्य जीवन में किए हुए कर्मों को भोगना होता है। आर्यसमाज के विद्वान एवं ओजस्वी वक्ता आचार्य अनुज शास्त्री जी ने कहा कि श्रेष्ठ कर्मों को करने से मनुष्य महान् बनता है। शास्त्री जी का आत्मा एवं जीवन-मरण के विभिन्न कठिन प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करने वाला उपदेश लगभग आधे घण्टे तक चला। अपने वक्तव्य को विराम देते हुए उन्होंने कीर्तिशेष हर्षवर्धन आर्य जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
आचार्य अनुज शास्त्री जी ने श्री हर्षवर्धन शास्त्री जी की मृत्यु पर प्राप्त हुए शोक प्रस्तावों की जानकारी भी दी। कुछ संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं जिन्होंने श्री हर्षवर्धन आर्य जी की मृत्यु पर अपना गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
1- वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून।
2- रामप्यारी आर्य कन्या पाठशाला, देहरादून।
3- अखिल भारतीय महिला आश्रम, देहरादून।
4- आर्यसमाज धामावाला, देहरादून।
5- स्त्री आर्यसमाज धामावाला, देहरादून।
6- आर्यसमाज विकासनगर, देहरादून।
7- सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल
8- श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम, देहरादून।
9- आर्यसमाज कालागढ।
9- आर.एस.एस., देहरादून।
10- दीनदयाल सेवा प्रतिष्ठान
11- भारत विकास परिषद् गंगोत्री शाखा
12- रोटरी क्लब, देहरादून।
13- दून सिटीजन काउंसिल
14- स्त्री आर्यसमाज करनपुर, देहरादून।
अन्य अनेक संस्थाओं ने भी अपनी अपनी शोक एवं श्रद्धांजलि के पत्र प्रेषित किये थे। इन सब पत्रों का भी श्री अनुज शास्त्री जी ने उल्लेख किया।
इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित अनेक व्यक्तियों ने भी कीर्तिशेष हर्षवर्धन आर्य जी को श्रद्धांजलियां दीं। कुछ नाम निम्न हैं।
1- श्रीमती मृदुला चौहान जी
2- श्री सुधीर गुलाटी जी, प्रधान, आर्यसमाज धामावाला, देहरादून।
3- श्री नरेन्द्र आर्य जी
4- पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री तरुण विजय जी
5- श्री सुबोध उनियाल जी, वन मंत्री उत्तराखण्ड सरकार।
6- श्रीमती अनुऋता गुप्ता, पुत्री
7- श्री ज्ञानचन्द गुप्ता जी।
श्री तरुण विजय जी ने अपने कुछ संस्मरण प्रसतुत किये और कहा कि उनके जीवन का अनुस्मरण करना ही उनको श्रद्धांजलि होगी।
हम भी श्री हर्षवर्धन आर्य जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनको उत्तम योनि सहित भावी जीवन में वेदों का ज्ञान एवं सुखों की प्राप्ति हो।
श्री अनुज शास्त्री जी ने इस अवसर पर श्री हर्षवर्धन आर्य जी के परिवार की ओर से अनेक संस्थाओं को दान दिये जाने की सूचना भी दी और कहा कि जिन संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित हैं, वह कृपया दान राशि प्राप्त कर लें।
इसके बाद आचार्य अनुज शास्त्री जी ने पगड़ी बांधने की रस्म वेदों मन्त्रों के उच्चारण के मध्य सम्पन्न कराई।
-मनमोहन कुमार आर्य