जीवन की राहें उलझी हुई, हर मोड़ पर संघर्ष है,
मौत की ओर बढ़ते कदम, पर जीने की आस है।
हर पल में दर्द और खुशी, दोनों साथ-साथ चलते हैं,
जीवन की सच्चाई यही है, कभी हँसते हैं, कभी रोते हैं।
मौत का डर नहीं हमें, बस जीने की चाह है,
हर एक सांस में उम्मीद है, जीने की प्यास है।
जीवन की यात्रा में हम, कई उतार-चढ़ाव देखते हैं,
कभी गिरते हैं, कभी उठते हैं, पर हार नहीं मानते हैं।
ज़िंदगी क्या हो जाती है, मौत से बद्तर होती है,
फिर भी मौत बदनाम होती है, तकलीफ तो ज़िंदगी देती है।
जिसे सब कुछ दे देते हैं, वो ही धोखा दे जाते हैं,
जिन्हें भूल जाते हैं, वो ही यादें सताती हैं।
जीवन के हर मोड़ पर, संघर्ष का सामना करना है,
मौत की ओर बढ़ते कदम, पर जीने की जिजीविषा है।
हर पल को जीने की प्यास, ये जीवन की नियति है,
जीवन की यात्रा में हम, आगे बढ़ने की प्रेरणा पाते हैं।
मौत की ओर बढ़ते कदम, दिल की धड़कनें तेज़ हैं,
पर जीने की प्यास बाकी है, हर एक सांस में उम्मीद है।
जीवन में दर्द और खुशी, दोनों साथ-साथ चलते हैं,
कभी हँसते हैं, कभी रोते हैं, ये जीवन की सच्चाई है।
जीवन की राहों में हम, कई चुनौतियों का सामना करते हैं,
पर हार नहीं मानते हैं, जीने की जिजीविषा हमें आगे बढ़ाती है।
मौत का डर नहीं है हमें, बस जीने की चाह है,
हर पल को जीने की प्यास, ये जीवन की नियति है।
जीवन की यात्रा में हम, कई उतार-चढ़ाव देखते हैं,
कभी गिरते हैं, कभी उठते हैं, पर हार नहीं मानते हैं।
जीने की जिजीविषा हमें, आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है,
मौत की ओर बढ़ते कदम, जीवन को सार्थक बनाते हैं।
जीवन की सच्चाई यही है, दर्द और खुशी का संगम है,
जीवन की यात्रा में हम, आगे बढ़ने की प्रेरणा पाते हैं।
मौत का डर नहीं है हमें, बस जीने की चाह है,
हर पल को जीने की प्यास, ये जीवन की नियति है।
स्वरचित एवंश मौलिक
मुकेश “कविवर केशव” सुरेश रूनवाल