महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या/नई दिल्ली मानवीय सहनशक्ति, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की मिसाल पेश करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की महिला उप-निरीक्षक गीता समोटा ने 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊंचे माउंट एवरेस्ट की सफल चढ़ाई कर इतिहास रच दिया है। सोमवार, 19 मई 2025 की सुबह जब गीता “दुनिया की छत” पर खड़ी थीं, तो वह क्षण केवल एक व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि CISF की शक्ति और भारतीय राष्ट्र के असीम साहस का प्रतीक बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद अयोध्या हनुमानगढ़ी में दर्शन करने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत भी की। सीकर से शिखर तक का सफर राजस्थान के सीकर जिले के छोटे से चक गांव से शुरू हुई यह प्रेरणादायक यात्रा उस अदम्य साहस का परिणाम है, जिसने हर बाधा को पार कर एक असाधारण उपलब्धि को संभव बनाया। चार बहनों वाले एक साधारण परिवार में जन्मी गीता समोटा का पालन-पोषण पारंपरिक ग्रामीण परिवेश में हुआ। बचपन से ही उन्होंने लड़कों की उपलब्धियों के किस्से तो खूब सुने, लेकिन लड़कियों की सफलताओं में एक खालीपन सा महसूस होता था। यही खालीपन उनके भीतर अपनी अलग पहचान बनाने की ललक को जन्म देता गया। खेलों में विशेष रुचि रखने वाली गीता कॉलेज के दिनों में एक होनहार हॉकी खिलाड़ी थीं, लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण चोट ने उनके खेल करियर को बीच रास्ते ही रोक दिया। यह एक ऐसा झटका था, जिसने उन्हें अनजाने में ही एक नई दिशा की ओर मोड़ दिया। एक ऐसी राह, जहां उन्होंने न केवल खुद को फिर से खोजा, बल्कि देश और बल का गौरव भी बढ़ाया। CISF में पर्वतारोहण की नई पहचान
वर्ष 2011 में CISF में शामिल हुईं गीता ने सेवा के शुरुआती वर्षों में ही देखा कि पर्वतारोहण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे बल में बहुत कम लोग जानते थे। उस समय CISF के पास कोई समर्पित पर्वतारोहण दल भी नहीं था। गीता ने इस स्थिति को एक चुनौती नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा। उनकी दूरदर्शिता उन्हें वर्ष 2015 में एक निर्णायक मोड़ पर ले आई, जब उन्हें औली स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) प्रशिक्षण संस्थान में छह सप्ताह के बुनियादी पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चयनित किया गया। वह अपने बैच की एकमात्र महिला प्रतिभागी थीं। ट्रेनिंग के दौरान उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उनके भीतर आत्मविश्वास और दृढ़ता को और मजबूत किया। वर्ष 2017 में उन्होंने उन्नत पर्वतारोहण ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरा किया और ऐसा करने वाली पहली तथा एकमात्र CISF कर्मी बनीं। सेवन समिट्स’ और अप्रतिम उपलब्धियाँ । उनकी अटूट दृढ़ता ने वर्ष 2019 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का रूप लिया, जब वे उत्तराखंड की माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल की माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की पहली महिला बन गईं।
वर्ष 2021 की शुरुआत में माउंट एवरेस्ट के लिए निर्धारित CAPF अभियान रद्द होने के बाद, गीता के लिए यह एक नई प्रेरणा का स्रोत बन गया। उन्होंने एक और भी चुनौतीपूर्ण लक्ष्य अपनाया: “सेवन समिट्स” अभियान—जिसमें सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ाई करना शामिल है।
वैश्विक COVID-19 महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद, गीता समोटा ने अपने सेवन समिट्स” अभियान के सपने को कभी डगमगाने नहीं दिया। वर्ष 2021 और वर्ष 2022 की शुरुआत के बीच, उन्होंने इस चुनौती के तहत चार दुर्गम चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की ।ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्ज़को (2,228 मीटर), रूस में माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), तंजानिया में माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), और अर्जेंटीना में माउंट एकॉनकागुआ (6,961 मीटर)। इन चार शिखरों को मात्र छह महीने और 27 दिनों में फतह कर गीता समोटा ‘सेवन समिट्स’ के अभियान में इतनी तेजी से प्रगति करने वाली सबसे तेज भारतीय महिला बन गईं।
उनकी उपलब्धियों का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में उन्होंने महज तीन दिनों के भीतर पांच चोटियों पर सफल चढ़ाई की—जिनमें तीन 6,000 मीटर से अधिक और दो 5,000 मीटर से अधिक ऊंची चोटियाँ थीं—और ऐसा करने वाली वह पहली तथा सबसे तेज महिला पर्वतारोही बन गईं। सम्मान और प्रेरणा का स्रोत अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए गीता समोटा को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है, जिनमें दिल्ली महिला आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023 और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा “Giving Wings to Dreams Award 2023” शामिल हैं। उनका दृष्टिकोण भी उतना ही प्रेरणादायक है जितनी उनकी पर्वतारोहण यात्राएं। गीता कहती हैं, पहाड़ सभी के साथ समान व्यवहार करते हैं—वे आपके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते। केवल वही लोग इन ऊंचाइयों को छू सकते हैं, जिनके भीतर एक खास एक्स-फ़ैक्टर’ होता है। उनकी यह सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि लैंगिक समानता और आत्मबल का संदेश भी देती है। CISF ने भी उनके प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाई है। चाहे वह अभियानों में भाग लेने के अवसर हों या आवश्यक वित्तीय सहयोग। बल ने न केवल उन्हें ABVIMAS, मनाली में शीतकालीन अनुकूलन प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया, बल्कि माउंट एवरेस्ट जैसे ऐतिहासिक अभियानों के लिए भी उनका मार्ग प्रशस्त किया। गीता समोटा ने केवल पहाड़ों की ऊंचाइयों को नहीं छुआ, बल्कि सामाजिक सोच की उन रूढ़ियों को भी चुनौती दी है जो महिलाओं की सीमाओं को परिभाषित करती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि महिलाएं सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। युवा लड़कियों के लिए उनका संदेश स्पष्ट और सशक्त है ।बड़े सपने देखो, मेहनत करो और कभी हार मानो।
उनकी ऐतिहासिक सफलता से प्रेरित होकर, CISF अब वर्ष 2026 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक पूर्णतः समर्पित CISF पर्वतारोहण दल भेजने की योजना बना रहा है। CISF के महानिदेशक सहित बल के समस्त अधिकारी एवं कार्मिक महिला उपनिरीक्षक गीता समोटा को इस ऐतिहासिक उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं। उनकी यह असाधारण यात्रा और शिखर विजय न केवल भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि पूरे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल समुदाय के लिए भी अत्यंत गर्व का क्षण है।