महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । धार्मिक नगरी अयोध्या के प्रतिष्ठित अवध बिहारी कुंज मंदिर में मंगलवार को परम पूज्य रामसुखित दास फलाहारी जी महाराज की चौथी पुण्यतिथि श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाई गई। इस अवसर पर, मंदिर परिसर में एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों से आए सैकड़ों साधु-संतों, महंतों और श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।
मंदिर के वर्तमान महंत, पूज्य गणेश दास जी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि यह भंडारा पिछले चार वर्षों से हर साल फलाहारी जी महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि रामसुखित दास फलाहारी जी महाराज एक महान तपस्वी, विद्वान और धर्मपरायण संत थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धर्म सेवा, साधना और समाज कल्याण को समर्पित कर दिया था। उनके व्यक्तित्व की गरिमा आज भी भक्तों के दिलों में बसी हुई है।
महंत गणेश दास जी ने कहा, महाराज श्री का जीवन सदैव हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। वे न केवल आध्यात्मिक ज्ञान के गहरे स्रोत थे, बल्कि सादगी और सेवा के जीवंत प्रतीक भी थे। पुण्यतिथि कार्यक्रम की शुरुआत विशेष पूजा अर्चना और हवन से हुई, जिसके बाद संतों और श्रद्धालुओं को आदरपूर्वक भंडारा प्रसाद वितरित किया गया। मंदिर के वर्तमान महंत द्वारा आयोजन की व्यवस्था अत्यंत भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण रही। मंदिर परिसर को फूलों और रंग-बिरंगे पताकाओं से सजाया गया था, जिससे पूरे वातावरण में दिव्यता और भक्तिभाव की अनुभूति हो रही थी। इस अवसर पर, कई प्रमुख संतों और धार्मिक विद्वानों ने भी रामसुखित दास फलाहारी जी महाराज के जीवन और योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। पूरे कार्यक्रम में भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का अनूठा संगम देखने को मिला। अयोध्या की संत परंपरा में ऐसे आयोजन आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने में हमेशा सहायक रहे हैं। इस अवसर पर, निर्वाणी अखाड़ा के श्री महंत मुरली दास जी महाराज, अखिल भारतीय पंच दिगंबर के महंत वैष्णव दास जी महाराज, श्री सीताराम दास महा त्यागी जी, छोटी छावनी उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास, रामानंद दास जी महाराज, राजस्थान से त्रिलोकी दास जी महाराज विद्या कुंड वाले महाराज, श्री मोनी जी महाराज, बेतिया से कमता शरण जी महाराज और रामकिशोर दास जी महाराज सहित हजारों की संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।