नमन स्वातंत्र्य पुजारी को

*नमन स्वातंत्र्य पुजारी को*

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मृत्यु मील का पत्थर है यदि

कोई दिव्य जीवन तूने जिया है

मृत्यु है इसका प्रबल प्रमाण

कि तूने क्या – क्या किया है।

 

मृत्यु यदि इतिहास है जानो

यह जीवन उज्ज्वल प्रकाश है

लाखों रोज मरते यहाँ उनका

मरना जीवन का उपहास है।

 

फूंका विगुल आजादी का जिसने

जलाया स्वतंत्रता मशाल किसने?

इतिहास में स्वर्णिम नाम लिखा है

प्रथम गोली चलाई थी तब किसने

 

नाम था उनका “मंगल पांडेय”

बलिया जनपद के वे निवासी थे

रग-रग में था भृगु मुनि का खून

स्वतंत्रता के वे बड़े पुजारी थे।

 

थी मृत्यु जिनके लिए खिलौना

गाकर वंदेमातरम् फंदे को चूमा

मृत्यु जिसने दबी आग भड़क दी

मशाल को मृत्यु से दिव्य हवा दी

 

छोड़ना पड़ा, देनी पड़ी आजादी

जानते, कितनों ने जान गवां दी?

उठेगी बात आजादी के नायक की

सभी लेंगे नाम “मंगल पांडेय” की

 

आज दिन परम गर्व का, शौर्य का

कृतज्ञ, नमन, बलिदान दिवस का।

वीर मंगल तब नायक थे, आज भी

नमन! वंदन! बलिदान दिवस का।

 

*डॉ जयप्रकाश तिवारी*

बलिया/लखनऊ, उत्तर प्रदेश