श्रीमद् भागवत कथा भक्तों ने श्रद्धेय व्यास मनोज मोहन शास्त्री जी महाराज के प्रवचनों का रसपान किया

 

महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या यशस्वी विंदु गद्माचार्य स्वामी देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता और उनके प्रिय शिष्य जगद् गुरु अर्जुन द्वारा चार्य कृपालु श्री राम भूषण दास जी महाराज के कुशल प्रबंधन में वृंदावन में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन हो रहा है। यह कथा अयोध्या के गो, संत और परमार्थ सेवा के प्रमुख केंद्र बिंदु चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी के राज महल के तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। इस कथा में यशस्वी व्यास श्रद्धेय मनोज मोहन शास्त्री महाराज अपने अमृतमयी वचनों से भक्तों को भावविभोर कर रहे हैं, जिससे श्रद्धालु स्वयं को धन्य महसूस कर रहे हैं। कथा के दौरान व्यास श्रद्धेय मनोज मोहन शास्त्री जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए नंद बाबा और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा कि नंद बाबा को एक ज्योतिषी ने बताया था कि बालक कृष्ण ऐसे हैं जो मात्र हृदय में प्रवेश कर जाने से युगों-युगों के पापों को भी हर लेते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भगवान कृष्ण, नंद बाबा और माता यशोदा के हृदय के प्रिय ‘चोर’ हैं। जब नंद बाबा ने ज्योतिषी को भेंट स्वरूप कुछ देना चाहा, तो ज्योतिषी ने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। इस प्रसंग के माध्यम से व्यास जी ने गुरु, वैद्य, ज्योतिषी, ब्राह्मण और राजा को दान देने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि ऐसा करने से अनेक अमंगलों का नाश होता है। व्यास जी ने दंडकारण्य के ऋषियों का उदाहरण देते हुए बताया कि वे गोपियों के रूप में नंद बाबा के घर आए थे। उन्होंने नंद बाबा के घर में प्रचुर मात्रा में माखन, दूध और दही होने के बावजूद कभी चोरी नहीं की, जो उनकी अपार भक्ति और त्याग को दर्शाता है। उन्होंने बृज रज की महिमा का भी वर्णन किया और बताया कि भगवान कृष्ण लगभग 11 महीने तक बृज में रहे और उन्होंने पादुका धारण की। व्यास जी ने यह भी स्पष्ट किया कि भगवान ने कालिया का मर्दन केवल यमुना के जल को शुद्ध करने के लिए किया था। उन्होंने ज्ञानी भक्तों को भगवान का ‘नट’ (कलाकार) बताया और कहा कि श्री राम और कृष्ण की पहचान नेत्रों से ही हो जाती है।
इस पावन अवसर पर जगद् गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज पीठाधीश्वर अशर्फी भवन, श्री महंत गौरी शंकर दास जी महाराज हनुमान गढ़ी, वाटिका के पीठाधीश्वर डॉ श्री रामा नंद दास जी महाराज सहित अनेक संत-महात्मा और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और कथा का श्रवण कर लाभान्वित हुए।