मुशायरा , एक शाम इंसानियत और भाईचारगी के नाम

वोह दिल चुराके बैठे हैं हकदार की तरह, हम लुट के भी बैठे हैं गुनाहगार की तरह, पूनम विश्वकर्मा,,,,,
अनुराग लक्ष्य, 5 अप्रैल
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
बीती शाम उस वक्त खुशनुमा हो गई जब धारावी के पीला बंगला स्थित आंबेडकर सभागार में आयोजित मुशायरे में मुंबई के एक से एक नामचीन शायरों ने अपने अपने मैयारी कलाम से सभागार को तालियों की गूंज से भर दिया। मौका था एक शाम इंसानियत और भाईचारगी के नाम। जिसकी सदारत मशहूर ओ मारूफ शायर इमरान गोंडवी ने की, जबकि अपने खूबसूरत नेज़ामत से पूर्वांचल के कोहनूर शायर सलीम बस्तवी अज़ीज़ी सबके दिलों में उतर गए।
मुशायरे का आगाज़ साहिल प्रतापगढ़ी के कलाम,
,, बर्बाद हूँ वफ़ा पे मैं ऐतबार करके, वादों को तोड़ते हैं वोह वादे हज़ार करके ,,,से हुआ, जिसे उपस्थित श्रोताओं ने बेहद सराहा। इसी तरह मुंबई के स्थापित शायर राजेश उन्नावी ने अपने कलाम,
,,, किसी किसी को ज़माने में यह हुनर आए, किसी का दर्द हो और अपनी आँख भर आए,, सुनकर अपनी मौजूदगी का भरपूर एहसास कराया।
इसी फेहरिस्त में रवि यादव ने अपनी ग़ज़ल के शेर ,
नज़रें तो मिल गईं हैं फिर बात होगी कब, साथी मेरे बता दो मुलाकात होगी कब,,द्वारा ख़ूब दाद ओ तहसीन हासिल किया।
बेहतरीन शायर ज़ाकिर हुसैन रहबर ने अपने खूबसूरत कलाम से सभागार को तालियों के साथ संजीदगी का भी एहसास कराया इस शेर के साथ,
,,, चलिए अब रात हुई घर चलें रहबर वरना, फूल मुरझाके चटाई पे बिखर जाएंगे,,,
इसी क्रम मे गीतकार राम जी कनौजिया ने अपने गीत ग़ज़ल और भोजपुरी रचानाओं से सभी का दिल जीत लिया, उनका कलाम,,, बीज नफरत का बो करके बताओ क्या मिलेगा, सभी से रुसवा हो करके बताओ क्या मिलेगा, राम जी गिरने से पहले जाएं तो अच्छा है, नहीं फिर बाद रो कर के बताओ क्या मिलेगा,,,
मुंबई की मशहूर ओ मारूफ शाइरा पूनम विश्वकर्मा अपने खूबसूरत तरन्नुम से समयीन के दिलों में उतर गईं अपने इस कलाम के साथ,
,,,, वोह दिल चुराके बैठे हैं हकदार की तरह, हम लुट के भी हैं बैठे गुनाहगार की तरह, आंखों से मुझको छू रहे रखकर वोह फासले, पढ़ता है कौन हुस्न को अख़बार की तरह,,
अपने ख़ास अंदाज़ में शेर पढ़ने वाले मुशायरे की नेज़ामत कर रहे सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने अपना कलाम,
,,, मुहब्बत हो अदावत हो कोई दौर ए सियासत हो, मिटा न पायेगी दुनिया मुसलमाँ को ज़माने से, हकीकत तो हकीकत है, हकीकत ही रहेगी वोह, मिटा न पाओगे हरगिज़ हकीकत को फ़साने से,, सुनाकर सभागार में हलचल मचा दी।
और, आखिर में सदारत कर रहे मशहूर शायर इमरान गोंडवी ने अपने कई मयारी कलाम से ख़ूब दाद ओ तहसीन हासिल की, उनका कलाम,
,, यह फसाना नहीं हकीकत है, प्यार इन्सान की ज़रूरत है, हमको इमरान आज़माओ मत, हमको बस आपसे मुहब्बत है,,,,
मुशायरे के आयोजक घायल कानपुरी ने मुशायरे में आए तमाम मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। मुशायरे को कामयाब बनाने में मानव कल्याण संघर्ष मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष नईम खान, पत्रकार हरि गोविंद विश्वकर्मा, अब्दुल करीम, और कमर अंसारी का विशेष योगदान रहा।