महिला सशक्तिकरण में उत्तर प्रदेश ने रचा इतिहास

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने बीते आठ वर्षों में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रदेश सरकार ने कई योजनाओं को लागू कर करोड़ों महिलाओं को लाभान्वित किया है।सरकार की मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत 22.12 लाख बालिकाओं को सहायता दी गई है, जबकि निराश्रित महिला पेंशन योजना से 35.21 लाख महिलाओं को लाभ मिला है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड) के तहत 18,990 बच्चों को और सामान्य बाल सेवा योजना के अंतर्गत 53,610 लाभार्थियों को सहायता दी गई। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से दो लाख से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया, जबकि प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना से 60 लाख माताओं को लाभान्वित किया गया।महिला स्वयं सहायता समूहों को भी सरकार का भरपूर सहयोग मिला। 60,000 महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पुष्टाहार का वितरण किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 95 लाख से अधिक महिलाओं को 8,73,534 समूहों, 57,482 ग्राम संगठनों और 3,137 संकुल स्तरीय संघों से जोड़ा गया। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 2,510 उचित मूल्य की दुकानें महिला स्वयं सहायता समूहों को आवंटित की गईं।महिला वित्तीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए 39,561 बीसी सखियों ने अब तक 31,626 करोड़ रुपये का लेनदेन किया, जिससे उन्हें 85.81 करोड़ रुपये का लाभांश प्राप्त हुआ। लखपति महिला योजना के तहत 31 लाख महिलाओं को चिह्नित किया गया, जिनमें से 12 लाख से अधिक महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं। वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से 2.03 लाख महिलाओं को सहायता दी गई। राज्य के 189 नगर निकायों में महिलाओं के लिए 1,100 पिंक शौचालयों का निर्माण किया गया, जबकि 181 महिला हेल्पलाइन योजना के तहत 7.17 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की गई।आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूल के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है, जिससे 3.73 लाख आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकों को मानदेय में वृद्धि का लाभ मिला है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू की गई। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने 6,591 आंगनबाड़ी केंद्र गोद लिए हैं। प्रदेश के सात प्रमुख शहरों – वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, कानपुर नगर, झांसी, आगरा और गोरखपुर में पूण्यश्लोका माता अहिल्याबाई होलकर के नाम पर श्रमजीवी हॉस्टल का निर्माण किया गया है।राज्य में कुपोषण से निपटने और मातृ-शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं। 0 से 5 वर्ष के बच्चों में स्टंटिंग दर में 6.5% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि अंडरवेट की दर 7.5% कम हुई है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर में 5.1% की कमी आई है। महिला-पुरुष लिंग अनुपात में भी सुधार हुआ है और अब प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,017 महिलाएं हैं। मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में भी अभूतपूर्व गिरावट आई है।अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत 2.12 करोड़ लाभार्थियों को पोषण सहायता दी गई, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ। किशोरी बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में 2.10 लाख किशोरियों को चिह्नित कर विशेष योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
संस्थागत प्रसव दर में भी बड़ा सुधार हुआ है और अब यह 84% से अधिक हो गया है। इन सभी प्रयासों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है और आने वाले वर्षों में यह सशक्त नारी-समृद्ध समाज की दिशा में और मजबूत कदम उठाएगी।