श्रीमद्दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौन्धा-देहरादून का रजत जयन्ती समारोह दिनांक 30-31 मई व 1 जून, 2025 को’

ओ३म्
‘श्रीमद्दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौन्धा-देहरादून का रजत जयन्ती समारोह दिनांक 30-31 मई व 1 जून, 2025 को’
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पच्चीस वर्ष पूर्व देहरादून में आर्यजगत् के विख्यात संन्यासी ऋषिभक्त स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी द्वारा श्री मद्दयानन्द आर्ष ज्यातिर्मठ गुरुकुल, पौन्धा की स्थापना जून, 2000 ई. में की गई थी। वर्तमान वर्ष 2025 गुरुकुल की स्थापना का रजत-जयन्ती वर्ष अर्थात् पच्चीसवां वर्ष है। इस अवधि में गुरुकुल ने अनेक योग्य स्नातक तैयार किये हैं जो शिक्षा जगत सहित सेना एवं आर्यसमाज में धर्माचार्य वा पुरोहितों आदि अनेक रूपों में अपनी सेवायें दे रहे हैं। हम सब जानते हैं कि वैदिक धर्म का आधार ईश्वर का नित्य ज्ञान वेद, ऋषि मुनियों के ग्रन्थ, व्याकरण ग्रन्थ, निरुक्त शास्त्र, दर्शन, उपनिषद्, आरण्यक, रामायण एवं महाभारत आदि अनेक ग्रन्थ हैं। इन सभी ग्रन्थों का अध्ययन एवं रक्षा गुरुकुलीय पद्धति से संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं प्रचार से ही हो सकती है। यदि संस्कृत का अध्ययन नहीं होगा तो वेद व उसके सत्य अर्थों की रक्षा नहीं की जा सकती। इसलिये गुरुकुलों का भव्य एवं दिव्य रूप में संचालन वैदिक धर्मियों के लिये अत्यन्तावश्यक है। प्रत्येक वैदिक धर्मी का कर्तव्य है कि वह गुरुकुलों की स्थापना, संचालन, संर्वधन एवं उन्हें वैदिक विद्वानों को तैयार करने के लिये हर प्रकार से सहयोग करने के लिये तत्पर रहें।

इस दृष्टि से गुरुकुलों का अधिक संख्या में होना और वहां संस्कृत व्याकरण सहित वेद आदि शास्त्रों का शिक्षण करने सहित आर्यसमाज के संगठन को सुदृण करने एवं वैदिक धर्म के प्रचार की आज भी महती आवश्यकता है। इन सब कार्यों के लिए हम गुरुकुलों की रक्षा एवं संवर्धन को वैदिक धर्म के प्रचार व प्रसार में आवश्यक समझते हैं।

गुरुकुल पौंधा-देहरादून अपने रजत जयन्ती वर्ष में आगामी 30 व 31 मई तथा 1 जून, 2025 को देहरादून में गुरुकुल परिसर में एक तीन दिवसीय भव्य एवं दिव्य समारोह का आयोजन कर रहा है जिसमें आर्यसमाज के सभी विद्वानों एवं वैदिक धर्म एवं संस्कृति प्रेमी ऋषिभक्तों को आमंत्रित किया गया है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस गुरुकुल की स्थापना के साक्षी रहे हैं और पिछले 25 वर्षों में हमने इस गुरुकुल को उन्नति करते हुए देखा है। गुरुकुल के यशस्वी आचार्य डा. धनंजय आर्य जी ने अपना समस्त पुरुषार्थ इस गुरुकुल को उन्नत एवं सफल बनाने में लगाया है। हमारा कर्तव्य है कि हम गुरुकुल के संस्थापक एवं आचार्य महोदयों का धन्यवाद करें और इस अवसर पर आयोजित समारोह में अपने इष्ट-मित्रों एवं परिवारजनों सहित सम्मिलित हों। इससे गुरुकुल के आचार्यगण एवं ब्रह्मचारियों का उत्साहवर्धन होगा और भविष्य में सुदीर्घकाल तक इस गुरुकुल से आर्यसमाज को व्याकरणाचार्य एवं वैदिक विद्वान मिलते रहेंगे।

इस अवसर पर गुरुकुल की ओर से एक निमन्त्रण पत्र जारी किया गया है। इस निमंत्रण पत्र को हम यथावत् यहां उद्धृत कर रहे हैं:

पावका नः सरस्वती
निमन्त्रण-पत्र

श्रीमद्दयानन्द वेदार्ष महाविद्यालय-ल्यास द्वारा संचालित शाखा नं.-3
श्रीमद्दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल
पौन्धा ,देहरादून (उत्तराखण्ड) का

रजत जयन्ती समारोह

दिनांक – 30, 31 मई एवं 1 जून 2025

को विभिन्न सम्मेलनों सहित हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जा रहा है।

आपके आवास-निवास एवं भोजनादि की समुचित व्यवस्था आर्यसज्जनों के सहयोग से गुरुकुल परिवार की ओर से की जायेगी।

वेदविद्या, संस्कृत भाषा एवं गुरुकुलीय परम्परा के
संरक्षण एवं संवर्धन के लिए
आप अपना सहयोग प्रेषित कर सकते हैं।

इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

आप इष्ट मित्रों सहित सादर आमंत्रित हैं।

मोबाइलः 9411106104, 9411310530, 9079600568, 8810005096

फेसबुकः gurukulpondha यूट्यूबः gurukulpondhadehradun मेलः arsh.jyoti@yahoo.in

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गुरुकुल के आचार्य डा. धनंजय आर्य जी सहित आचार्य पं. चन्द्रभूषण शास्त्री जी आदि आचार्यगण एवं सभी ब्रह्मचारीगण रजत जयन्ती समारोह को सफल बनाने के लिये पूर्ण मनोयोग से कार्य कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि गुरुकुल रजत जयन्ती का यह समारोह निश्चय ही भव्य एवं दिव्य रूप में सम्पन्न होगा। आप भी इसमें भाग लेकर एवं गुरुकुल को सहयोग प्रदान कर यश के भागी बनें।

-मनमोहन कुमार आर्य