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बस्ती 25 जुलाई। मंगलवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के महासचिव डा. वाहिद अली सिद्दीकी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओें, पदाधिकारियों ने प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर जिलधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में मांग किया गया है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 का कड़ाई से पालन कराया जाय और इसके विरुद्ध फैसला सुनाने वाले निचली अदालतों के जजों को निर्देशित किया जाय कि वे आदेश के अनुरूप ही निर्णय लें।
ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ज्ञानू ने कहा कि देश संविधान और कानून से चलेगा। इन दिनों देखा जा रहा है कि धार्मिक उन्माद फैलाने, लोगों के बीच नफरत पैदा करने के बुरी नीयत से अदालतोें का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। यह देश की एकता, अखण्डता के लिये शुभ संकेत नहीं है। निचली अदालतों के जजों को भी कम से कम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना ही चाहिये जिससे नफरत फैलाने के मंसूबे सफल न होने पाये।
अल्पसंख्यक विभाग के महासचिव डा. वाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि पिछले दो वर्षों से यह देखा जा रहा है कि निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम 1991 के विरुद्ध फैसले सुना रही हैं। गौरतलब है कि उक्त अधिनियम यह स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र है उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता और उसे चुनौती देने वाली कोई याचिका किसी अदालत, प्राधिकार अथवा न्यायाधिकरण के समक्ष स्वीकार भी नहीं की जा सकती। वहीं बाबरी मस्जिद पर दिये फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को संविधान के बुनियादी ढांचे से जुड़ा बताया था। गौरतलब है कि संविधान के बुनियादी ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव संसद भी नहीं कर सकती जैसा कि केशवानंद भारती व एसआर बोम्मई केस समेत विभिन्न फैसलों में खघ्ुद सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है। यह देखा जा रहा है कि बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद, बदायूं की जामा मस्जिद और यहाँ तक कि ताज महल तक को मन्दिर बताने वाली याचिकाएं जिला अदालतें स्वीकार कर पूजा स्थल अधिनियम 1991 और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध निर्णय दे रही हैं। जिसपर सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने और कार्यवाई करने की मांग हेतु अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा 9 मई 2022 और 12 सितंबर 2022 को आपको ज्ञापन प्रेषित किया जा चुका है। बनारस की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई द्वारा सर्वे का हालिया आदेश एक बार फिर पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन और आपके सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुला उल्लंघन है। इस पर रोक लगनी चाहिये।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से शौकत अली ‘नन्ह’ू, बाबूराम सिंह, मो. रफीक खान, अलीम अख्तर, मो. अशरफ अली, साधूशरन आर्य, अशफाक आलम, अजमतुल्लाह, विनोद रानी आहूजा, महबूब हसन आदि शामिल रहे।