होली का पर्व न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह विश्वास, भक्ति और मानवता की महत्वपूर्ण शिक्षा भी देता है। हिंदू धर्म के दिग्गज नेता और जगतगुरु परमहंसाचार्य के उत्तराधिकारी राज श्री महंत एकनाथ महाराज ने इस पर्व के महत्व को लेकर गहरे संदेश दिए हैं।
राज श्री एकनाथ महाराज ने बताया कि होली का पर्व भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ होलिका से जुड़ा हुआ है। होलिका को भगवान से यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में कभी नहीं जल सकती। लेकिन जब होलिका ने अपने भतीजे प्रहलाद को मारने के लिए अग्नि में प्रवेश किया, तो उसका विश्वास और भक्ति भगवान के प्रति अडिग था। प्रहलाद ने अपनी बुआ के साथ अग्नि में बैठने का साहस किया, और भगवान की शक्ति से उसकी बुआ जल गई, जबकि प्रहलाद सुरक्षित रहा। यह घटना हमें यह सिखाती है कि सच्चा विश्वास और भक्ति ही हमें जीवन की कठिनाइयों से उबार सकते हैं, और भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इसके अलावा, होली के रंगों का भी गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। प्रत्येक रंग, जो होली में इस्तेमाल होता है, विभिन्न धर्मों और समुदायों का प्रतीक है। जब हम इन रंगों के साथ होली खेलते हैं, तो हम समाज के हर वर्ग और धर्म को एक साथ लाते हैं, और यह रंग हमारे भीतर मानवता का प्रतीक बन जाते हैं। होली एक अवसर है जब हम जाति-पांति से ऊपर उठकर एकता और इंसानियत का पाठ पढ़ते हैं।
राज श्री एकनाथ महाराज ने बताया कि होली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह मानवता को सम्मानित करने और सभी धर्मों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने का अवसर है। जब हम होली खेलते हैं, तो हमें केवल रंगों में ही नहीं, बल्कि एकता और भाईचारे में भी रंगना चाहिए। यही सच्चा त्योहार है — जो समाज में प्रेम, समरसता और आपसी विश्वास को प्रोत्साहित करता है।इस प्रकार, होली हमें एकजुटता, भाईचारे और भगवान के प्रति अडिग विश्वास की शक्ति का अहसास कराती है, जो जीवन को सफल और समृद्ध बनाता है।