भगवान के साथ सच्ची प्रीत से ही ज्ञान प्रकट होता है: आचार्य शत्रुघ्नजी

 

बस्ती २४जुलाई इन्द्र- अवध सदन भूअर निरंजन पुर में में आचार्य शत्रुघ्न शुक्ल की अमृतमयी वाणी में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस सोमवार को कथा व्यास ने कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती है. जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि है।
-पिछले 6 दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का हुआ। भागवत कथा के व्यास पीठ पर कथावाचक आचार्य शत्रुघ्न ने पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत, भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है। वह भव पार हो जाता है। उसे वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती हैं। महाराज ने कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, उद्धव-गोपी संवाद, द्वारका की स्थापना, रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया। आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक हैं। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी हैं। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया।
कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं।कथा मंडप में मुख्य यजमान इन्द्रावती, शैलेश उपाध्याय ,डॉ.सौम्या , डॉ. अरुण उपाध्याय के साथ इस मौके पर पूर्व मुख्य अभियंता राजीव लोचन मिश्र,डॉ. आरती मिश्रा, आरपी पाठक, प्रवक्ता राइका नैनीताल अजय कुमार चौबे,रामकृष्ण पाण्डेय, हनुमान पाण्डेय, अच्युतानंद पाण्डेय, शालिनी, लीला सिंह, नीता उपाध्याय, गिरजा द्विवेदी,संतोष उपाध्याय, राहुल,राजू रावत समेत बड़ी संख्या में कथा प्रेमियों ने श्रीमद्भागवत कथा का आनंद प्राप्त किया।

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