( शब ए बरात पर विशेष )
मोमिन के लिए खुल्द का रस्ता शब ए बरात, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,
अनुराग लक्ष्य, /13 फरवरी
मुम्बई संवाददाता ।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
,,,, मोमिन के लिए खुल्द का रस्ता शब ए बरात,
कितना हसीं हमको मिला तोहफ़ा शब ए बरात ।
आओ करें नवाफिलों का एहतमाम हम,
हर एक सू कुरआन का पारा शब ए बरात ।।,,,,
आज पूरी दुनिया में शब ए बरात का एहतमाम किया जा रहा है, क्योंकि आज की रात वही मुकद्दस रात है, जिसमें बन्दा अपनी मगफिरत की दुआएं मांगता है। साथ ही साल भर का लेखा जोखा भी आज की रात के बाद शुरू हो जाता है। पूरे साल किसको मरना है, किसको जीना है। किसके हिस्से में खुशी आनी है और किसके हिस्से में ग़म।
आपको बताते चलें कि मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक शाबान की 14 तारीख को शब ए बरात मनाई जाती है। शब ए बरात दो शब्दों शब और बरात से मिलकर बना है। शब के माने होते हैं रात और बरात के माने होते हैं निजात। इसी लिए इस रात को निजात की रात भी कहते हैं।
बन्द ए मोमिन इस रात बड़ी संख्या में अपने परिवार के मर चुके लोगों के लिए मगफिरत की दुआएं मांगता है। साथ ही अपनी इबादत से अपने रब का कुर्ब हासिल करता है। मस्जिदों और घरों में पूरी रात नवाफिल नमाजों का एहतमाम कर के अपने रब को राज़ी करता है।
इस रात अपने परिवार के मरे हुए लोगों की कब्रों पर विशेष रूप से हाज़िर होकर फातिहा ख्वानी के ज़रिए उनके हक में बारग़ाह ए इलाही में उनकी मगफिरत के दुआएं भी करता है। इसी लिए इस रात को कब्रिस्तानों को विशेष रूप से सजाया जाता है और रोशनी से भरी कब्रिस्तान एक खूबसूरत गुलशन में तब्दील नज़र आती है।
शब बरात की रात चार मुकद्दस रातों में एक है। जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब ए मेराज, तीसरी शब ए कद्र और और चौथी शब ए बरात, जो पूरी दुनिया में बड़े ही अकीदत और मुहब्बत के साथ बंदा ए मोमिन अपने गुनाहों को बख्शवाने के लिए पूरी रात नवाफिल नमाजों के साथ अपनी इबादत में मशगूल रहता है।