🪔🪔 ओ३म् 🪔🪔
*वाटसप गुरुकुल कक्षा-६*
हमने पिछली कक्षाओं मे देखा कि ब्रह्माण्ड के *दो तत्व शरीर ओर मन* से जो पाप मनुष्य करता है कुंभ स्नान से उनके पाप नहीं धुलते।पापों को भोगना ही पड़ता है।
*देह धरे का दंड है सब काहू कै होय!*
*ज्ञानी भुगते ज्ञान से,मूरख भुगते रोय।*
अब गतांक से आगे…..………
🍐 *तीसरा पदार्थ बुद्धि*🍐
ये ब्रह्माण्ड का तीसरा पदार्थ है। ये पदार्थ भी जड़ ही है। जीवात्मा का भीतरी साधन है। अंत:करण का एक भाग है। इसे भी परमात्मा ही बनाता है। अनादि प्रकृति परमाणुओं को अपने अनन्त ज्ञान,कर्म,स्वाभाव से इकट्ठा कर जो पहला सूक्ष्म से कुछ स्थूल पदार्थ बनाया भगवान ने उसी का नाम बुद्धि है।इसके महत , प्रधान व महान नाम भी हैं।
🪴 *बुद्धि है क्या?*🪴
निर्णयात्मिका वृत्ति बुद्धि अर्थात जिसके द्वारा जीवात्मा सही व गलत का निर्णय करता है उस जड़ पदार्थ का नाम बुद्धि है।
🍁🍁जिज्ञासा🍁🍁
*जब बुद्धि सही-गलत का निर्णय करती है तो जड़ कैंसे हुई?*
✍️ सम्यक समाधान✍️
जैंसे शरीर उठता,बैठता,चलता है मगर जड़ है।जैंसे मन सुखी-दुखी,चंचल,उदास होता है मगर जड़ है उसी प्रकार नार्णय करने वाली बुद्धि भी एक जड़ पदार्थ है।एक दूसरे उदाहरण से समझो!
एक बस हाई वे पर १०० किलोमीटर की रप्तार से चल रही है जिसे आप खुद देख भी रहे हैं।यह तो हो ग ई प्रत्यक्ष की बात मगर सत्यज्ञान के आगे आपकू प्रत्यक्ष ज्ञान फेल है रहा है क्योंकि कोई भी बस अपने आप नहीं चलती है उसे चेतन ड्राईवर चलाता है।यह निर्णय करने वाली बुद्धि भी स्वय़ निर्णय नहीं करती चेतन जीवात्मा इसे निर्णय करने के काम मे़ लगाता है।इसी जो जीवात्मा जितनी योग्यता रखती है उसकी बुद्धि उसी स्तर से काम करती है इसलिए बुद्धि भगवान ने सबको बराबर दी है फिर भी कोई विद्वान,कोई मूर्ख,कोई धर्मात्मा तो कोई पापात्मा ये सब भेद बुद्धि में आत्माओं के कारण होता है!
🌻🌻प्रबल जिज्ञासा🌻🌻
*क्या बुद्धि से भी पाप कर्म होते हैं*?
🌻 सम्यक् समाधान🌻
सबसे अधिक व खतरनाक पाप बुद्धि व बुद्धिमान ही करते हैं।दुनियां में *जितना भी पाखंड व अ़धविश्वास फैलता है उसका कारण बुद्धि व बुद्धिमान लोग* ही हैं।बुद्धि के पापों से ही एक देश-दूसरे देशों के दुश्मन बध जाते हैं। *युक्रेन व रशिया* एवं *बाग्लादेश में निर्दोष हिंदुओं के साथ अत्याचार* बुद्धि के बिगड़ने का ही परिणाम है।मैं नहीं कहता शास्त्र व आप्त पुरुष भी यही बात कहते हैं।
आयुर्वेद के पंडित *महर्षि पुनर्वसु (महर्षि चरक)* ने अपनी पुस्तक चरक संहिता में लिखा है।
[१] *प्रज्ञापराधो मूलं सर्वरोगाणाम्।*
अर्थात् शारीरिक,आत्मिक,सामाजिक समस्त रोगों का कारण बुद्धि का विगड़ जाना है।इस समय पूरे विश्व में सबसे अधिक बुद्धि *न्यूज चैनल के एंकरों* की बिगड़ी है। सारी मानवता अपने पापों को धोने कुंभ में जा रही है।सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर चुकी है मगर ये मीडिया वाले समाज कै क्या दिखा यहे हैं *माला बेचने वाली लड़की की आंखें।गाजा,सिगरेट पीने वाले आई,आई,टी बागा,नंग धडंग नाचने वाले नागा बाबा।अंडा खाने वाले ,ढोंगी बाबाओं को ज्ञान बांटते हुए।सोना ,चांदी पहने व लग्जरी बाबा* इससे अधिक बिगड़ी बुद्धि क्या हो सकती है।जनता व सरकारों ने इन *न्यूज एंकरों* को कोई दिशा निर्देश नहीं दिया है कि आप विश्व को कैंसा भारत दिखा रहे हैं?
ये भारत *कणाद,कपिल,महर्षि पतंजलि,जैमिनी का है न कि ढोंगी,पाखंडी बाबाओं का न कि नाचने गाने वालों का*
किसी भी पत्रकार ने अभी तक *वेदज्ञ,दार्शनिक,इतिहास मर्मज्ञ,देशभक्त,समाजसुधार विद्धानों को दिखाया न उनके सत्संग सुनाए।इससे अधिक *बुद्धि के बिगड़ने के और क्या प्रमाण चाहिए* यही हाल रहेगा तो जो सच्चे संत,विद्वान है वो तटस्थ ही रहेंगे।
[२] योगेश्वर श्री कृष्ण गीता में कहते हैं *बुद्धि नाशात्प्रणश्यति* हे अर्जुन बुद्धि के नाश होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।
🪷🪷 *जिज्ञासा*🪷🪷
*क्या गंगा स्नान से बुद्धि के पाप नष्ट है जाते हैं?*
🦚🦚 समाधान🦚🦚
जी नहीं।जब गंगा नहाने से *शरीर,मन के पाप* नष्ट नहीं होते तो बुद्धि के भी नहीं होते! इस बुद्धि के बारे में और भी बहुत कुछ जानना है जिसकी चर्चा कल करेंगे? क्रमश………………