*सांबरकाठा में वेदोपदेश*-आचार्य सुरेश जोशी

🪷 ओ३म् 🪷
*सांबरकाठा में वेदोपदेश*
आर्य समाज मंदिर सैजपुर अहमदाबाद जनपद में 📚 अथर्वेद कथा📚 सम्पन्न होने के बाद आज गुजरात के *जनपद सांबरकांठा गुजरात के प्रांतीज तहसील* में वैदिक धर्म की पताका फहराई ग ई।
🌸 *ज्ञानयज्ञ के यजमान*🌸
[१] श्रीमती जयवंती।
[२] श्रीमान कमलेश ।
*ईश्वर माता-पिता*
संसार में हम देखते हैं जिसे हम *माता* कहते हैं वो *पिता* नहीं कही जाती और जिसे हम *पिता* कहते हैं उन्हें *माता* नहीं कह सकते।मगर ईश्वर को हम *माता-पिता,आचार्य,भाई,बंधु* भी कहते हैं। ऐंसा क्यों? क्योकि परमात्मा निराकार,सर्व्यापक,सर्वज्ञ है।जीवात्मा एकदेशीय है।आज के वैज्ञानिक युग में हम वैज्ञानिक यंत्रों की सहायता से अपने बहुत सारे काम करते हैं और सहजता अनुभव करते हैं।उदाहरण के लिए *सी-सी कैमरा* उसे देखकर आम आदमी भय खाता हैऔर सावधान रहता है कि कोई गलत व्यवहार हमसे होगा तो सरकार हमें दंडित करेगी।
इसी प्रकार *परमात्मा का सी सी कैमरा* हर क्षण,प्रतिपल,हमारे हमारे कर्मों को *देख,सुन,जान* रहा है।इस प्रकार का ज्ञान जब व्यक्ति के आचरण में आ जाता है तब वह भूलकर भी पाप कर्म नहीं करता!ऐसे लोगों को मनुष्य के बनाये *मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा,चर्चों,तीर्थ* में जाने की आवश्यकता ही महसूस नहीं होती।
एक अबोध बालक सबसे डरता है मगर जब वह अपने माता-पिता की गोद में बैठता है तो सारी दुनियां से *लड़ने-भिड़ने* की क्षमता रखता है।इसी प्रकार जो परमात्मा कण-कण में रहता है वो सबकी *माता-पिता* कहलाता है।उस परमात्मा से सुख की प्रार्थना करनी चाहिए। एक बात विचारणीय है कि *सुख केवल परमात्मा से ही मिलता है संसार में केवल साधन व सुविधाएं* मिलती हैं।हमारे माता-पिता,आचार्य ,संब़धी,मित्र सभी हमें केवल साधन व सुविधाएं ईश्वर की प्रेरणा से देते हैं मगर सुख केवल परमात्मा ही कर्मफल के रुप में देता है।इसलिए हर जीवात्मा को चाहिए कि वो सावधानी पूर्वक *तन-मन-धन* से अपनी शारीरिक,आत्मिक व सामाजिक उन्नति में लगा रहे! इसी में मानव जीवन सार्थकता है।
कार्यक्रम के संयोजक प्रियवर कमलेश कीमतानी ने सभी श्रोताओं का आभार किया तथा कल के कार्यक्रम हेतु आमंत्रित किया!
आचार्य सुरेश जोशी
*प्रवासीय कार्यक्रम*
प्रांतीज सांबरकाठा गुजरात।