अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पहुंचे संघ प्रचारक इंद्रेश कुमारः बोले- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा, सरकार से कार्रवाई की मांग

 

महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या के हनुमान कुंड स्थित बड़ा भक्तमाल आश्रम में तीन दिवसीय नेपाली संस्कृति परिषद का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। सम्मेलन का अनावरण संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व नेपाली संस्कृति परिषद के संस्थापक इंद्रेश कुमार व बड़ा भक्तमाल महंत अवधेश दास ने संयुक्त रूप से किया। दूसरे दिन सभा को संबांधित करते हुए संघ प्रचारक ने बंग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी शब्दों में निंदा किया। संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने कहा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक विशेष रूप से हिंदू बौद्ध और ईसाइयों पर जो कट्टर पंथ का अत्याचार और अन्याय हो रहा है, वह विशेष रूप से निंदनीय और शर्मनाक है, 1947 में भारत के विभाजन से पाकिस्तान बना, 1971 में पाकिस्तान के विभाजन से बांग्लादेश बना, इनको पाकिस्तानी घुटन से आजादी हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों से है, आज दुखदायी है कि उसी बांग्लादेश के अंदर हिंदुस्तानियों पर इतना क्रूर अत्याचार होना निंदनीय है। बांग्लादेश की सरकार से अपील है कि यह अत्याचार बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार से अपेक्षा है कि जो भी अभी तक कदम उठाए, आगे और कैसे कार्यवाही हो ताकि बांग्लादेश शांतिप्रिय पड़ोसी बने।इसको लेकर किसी प्रकार का दुराव नहीं होना चाहिए और नेपाली संस्कृति का भी संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने बांग्लादेश की घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यूएनओ व विश्व के विकसित देशों से अपील की कि बांग्लादेश में असंख्यक हिन्दुओं सहित अन्य पर हो अत्याचार को रोकने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाएं। बांग्लादेश की सरकार को तुरंत यह जुल्म रोकना चाहिए । इसके लिए उसको सख्त से सख्त कदम उठाना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।” कुछ देश भारत की सीमाओं को सुलगाते हैं आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने आरोप लगाया ” दुनिया के कुछ देश जिनमें चीन, ईसाई मिशनरी व इस्लामिक संगठन भारत के चारों ओर की सीमाओं को सुलगाने की साजिश करते रहते हैं।पहले श्रीलंका को बर्बाद करने की साज़िश हुई। फिर नेपाल, भूटान व मालदीव में भी कोशिश की गयी। पाकिस्तान से स्थाई नफरत फैलाने का काम हो रहा है। उसी कड़ी में बंगलादेश में भी हो रहा है। उन्होंने भारत सरकार की नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बाद भी भारत ने मैत्री पूर्ण सौहार्द बनाए रखकर साजिशों को विफल किया है।” इसके पहले शुक्रवार को मध्याह्न महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट पर पहुंचने पर उनका स्वागत डॉ. अनिल सिंह व कासिफ शेख चौधरी सहित नेपाली प्रतिनिधियों ने किया। इस मौके पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल कानून पर सुनवाई के दौरान को लेकर अवर न्यायालयों पर को अन्य आदेश न पारित करने के आदेश पर कहा कि न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है, वह भारतीय जीवन मूल्यों, संस्कृति और सर्वधर्म समभाव की रक्षक है। भारत – नेपाल के सांस्कृतिक सम्बन्धों को ऊंचाई पर पहुंचाने का प्रयास है सम्मेलन नेपाली संस्कृति परिषद के कार्यकारी अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक चौरसिया ने बताया ” परिषद का वार्षिक अधिवेशन अलग-अलग शहरों में बीते 18 सालों से हो रहा है। इसका मकसद भारत व नेपाल के सांस्कृतिक सम्बन्धों को ऊंचाई देना है। उन्होंने कहा कि नेपाल व भारत के सांस्कृतिक सम्बन्ध त्रेता काल से स्वयं सिद्ध है। उन्होंने कहा कि नेपाल व भूटान के अलावा बड़ी संख्या में नेपाली व गोरखा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं और यह द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इसके चलते अनवरत जागरूकता के कार्यक्रम चलते रहने चाहिए। बड़ा भक्तमाल महंत अवधेश दास ने भी आशीर्वाद दिया। संचालन केन्द्रीय महासचिव राजन शिवा कोटि ने किया। इस दौरान केन्द्रीय महासचिव दिनेश सोनी, हरक बहादुर, केन्द्रीय उपाध्यक्ष अमित छेत्री, सदानंद शर्मा, केन्द्रीय कोषाध्यक्ष बीबी राणा व केन्द्रीय सचिव शैलेष सिंह गुरुंग सहित सैकड़ों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।