🪔 ओ३म् 🪔
🪷 अथर्वेद कथा 🪷
*अष्टचक्रा का प्रथम चक्र यम*
अथर्वेद कांड १०/२/३१ में अष्टचक्रा का अर्थ है योग के आठ क्रम।इस आठ क्रम में *यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि* आते हैं। यम के पांच भाग हैं। अहिंसा ,सत्य,अस्तेय, अपरिग्रह,ब्रह्मचर्य।जिसमें अहिंसा पर विस्तार से परिचर्चा हो चुकी है।आज चर्चा करते हैं सत्य पर।
🥣 *सत्य क्या है?*🥣*
जो वस्तु जैंसी है उसको वैंसा ही मानना,वैंसा ही बोलना,वैंसा ही लिखना,वैंसा ही व्यवहार में लाना कटु सत्य है। इसे समझने के लिए थोड़ा *बुद्धि का पुरुषार्थ* करते हैं।
ईश्वर,जीव,प्रकृति तीन वस्तुएं हैं।ये तीन वस्तुएं जैंसी हैं वैंसी ही जानो,मानो,लिखो,बोलो,व्यवहार करो वही सत्य है।वस्तु कुछ और है।आचरण कुछ और है यही झूठ है।मानने में हर व्यक्ति स्वतंत्र है। सारे *झगड़े की जड़ मानना है*।जिस दिन जान लेंगे झगड़े बंद हो जाते हैं।
*आओ इसका पता लगाएं?*
गणित एक विद्या है।वह जिस भाषा में पढ़ाई जायेगी वो एक ही होगी। *हिंदी भाषा में भी २×२=४ होता है.in english to 2×2=4.* यहां अंतर केवल भाषा का है मगर टोटल हर जगह (४) ही होगा।अगर दो स्कूल वाले टोटल अलग-अलग पढ़ायेंगे तो झगड़ा शुरू हो जायेगा।सही क्या है? *२×२=४ सब लोग सही जान लें तो झगड़ा ही समाप्त*
पता चला कि हम दो तरह का गणित दुनिया में नहीं पढ़ा सकते।अगर पढ़ायेंगे तो झगड़ा शुरु हो जायेगा,मगर आज दुनियां में *धर्म दो ही तरह का नहीं अपितु २००० तरह का धर्म पढ़ाया जा रहा है।* अब बताओ धर्म के नाम पर झगड़ा होगा कि नहीं। *आज जो बंग्ला देश में हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहा है उसका मूल कारण* दो तरह का धर्म है।ये देशों का नहीं *दो धर्मों का महा-संग्राम* है।
सत्य भी यही कह रहा है कि जो वस्तु जैंसी हैउसको वैंसा ही मानो!अब पुन:विचार कीजिए। *ईश्वर एक है या दो? उत्तर में सभी कहते हैं एक है मगर व्यवहार में २० ईश्वर बना रखे हैं।समय समय पर सबको खुश किया जा रहा है* यही से गढ़बढ़ शुरु हो ग ई है।
पुन:विचार कीजिए। *ईश्वर एक जगह रहता है या सब जगह?उत्तर में सभी कहेंगे कि हर जगह रहता है।* तो बताईये जो वस्तु सब जगह रहती है उसकी फोटो बन सकती है? उत्तर होगा नहीं। *मगर लोगों ने फोटो बना रखी हैं या नहीं? बना रखी हैं।*
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक घूम आओ।सारे भक्त गण भाग जा रहे हैं।*मथुरा वाले अयोध्या।अयोध्या वाले मथुरा।काशी वालै हरिद्वार।हरिद्वार वाले काशी जबकि *कहते सभी हैं कि ईश्वर सर्व्यापक है*। जब सब जगह है तो आपके घर में भी हुआ फिर क्यों भाग रहे हैं? *आंख बंद करो।ध्यान करो।भगवान को पाओ* यही सत्य है।आज इतना ही शेष परिचर्चा कल! छत
आचार्य सुरेश जोशी
*प्रवासीय कार्यालय*
आर्य समाज मंदिर सैजपुर बोघा अहमदाबाद गुजरात।