🌹 ओ३म् 🌹
*जीवितों का श्राद्ध*
महर्षि वशिष्ठ की पावन नगरी मंडल बस्ती में 🍁 *जीवितों का श्राद्ध -तर्पण* 🍁 कार्यक्रम रखा गया है। यह 🪷 जीवितों का श्राद्ध तर्पण 🪷 कार्यक्रम सितंबर दिनांक 20/9/2024से लेकर अक्टूबर 3/10/2024 तक अनवरत चलेगा !
*विसर्जन वेद गंगा में*
सभी जीवित पितरों का विसर्जन 📚 *वैदिक गंगा में यज्ञ आहुतियों*📚 द्वारा होगा।
🥣 श्राद्ध तर्पण यजमान 🥣
सत्य सनातन वैदिक विधि से चलने वाले इस *श्राद्घ -तर्पण पक्ष* में जो यजमान हैं उनकी सूची इस प्रकार हैं।
सर्व श्री अजीत पांडेय 🌸 श्री रोहित जी 🌸 श्री वीरेन्द्र गुप्ता 🌸 श्री सुनील सिंह 🌸 श्री उपेन्द्र शर्मा 🌸 श्री नवल किशोर चौधरी 🌸 श्री राजेन्द्र जी 🌸 श्री दिलीप जी 🌸 श्री मनोहर अग्रवाल 🌸 श्री गिरजा शंकर दूबे 🌸 श्री प्रवीण अग्रवाल 🌸 श्री चुनमुन लाल 🌸 श्री मुक्तिनाथ 🌸 श्री बच्चा लाल 🌸 श्री जीतेन्द्र जी 🌸 श्री सूर्य प्रकाश जी🌸 श्री राधेश्याम जी 🌸 श्री अनिल जी🌸 श्री राममोहन पाल 🌸 श्री दिलीप जी 🌸 श्री वशिष्ठ गोयल 🌸 श्री सी०पी० त्रिपाठी 🌸 श्री शिवश्याम 🌸 श्री शिव शाहू 🌸 श्री अजय अग्निहोत्री 🌸 श्री जमुना प्रसाद पाण्डेय 🌸 श्री कौशल जी 🌸 श्री विनोद जी उपाध्याय पत्रकार एसोसिएशन अध्यक्ष बस्ती।
🥣 *श्राद्ध -तर्पण भूमि*🥣
तिवारी टोला 🔥 चाई पुरुवा 🔥 नरहरिया 🔥 भरवलिया 🔥 घर सोहिया 🔥 गांव गोड़िया 🔥 न ई कालोनी बस्ती 🔥 त्रिदेव मंदिर 🔥 पांडेय बाजार 🔥 बालाजी मंदिर 🔥 करण मंदिर 🔥 रुदोली शिव मंदिर 🔥 रहठौली 🔥 गोला मंदिर 🔥 मंगल बाजार 🔥 लोहरोली 🔥 स्टेशन रोड 🔥 पठान टोला 🔥 मनहनढीह 🔥 छोटा रुधोली 🔥 मनवर -कुआनो संगम आर्य समाज मंदिर लालगंज 🔥 सरस्वती ज्ञान मंदिर बिहरा 🔥 ग्राम पढ़नी 🔥 महाराज गंज 🔥 आवाज -विकास बस्ती 🔥 पत्रकार भवन बस्ती।
🦩 *श्राद्ध व्यवस्थापक*🦩
स्वनामधन्य श्री ओमप्रकाश आर्य प्रधान जिला आर्य उप्रतिनिधि सभा बस्ती।
*श्राद्ध तर्पण विद्वान*
[१] आचार्य सुरेश जोशी *वैदिक प्रवक्ता*
[२] पंडिता रुक्मिणी देवी *वैदिक भजनोपदेशिका बाराबंकी*
🌻 *शंका -समाधान*🌻
हमने तो सुना था कि *श्राद्घ तर्पण* मरे हुए लोगों का होता है? मगर आप *जीवितों का श्राद्ध तर्पण* करवा रहे हैं।
🌹 *यथार्थ उत्तर*🌹
आपने सही कहा है। सुनने में यही आता है। मगर केवल सुनने से सत्य का ज्ञान नहीं होता है।इसके लिए विद्वानों की संगति व शास्त्रों का अध्ययन व व्यवहार का ज्ञान होना जरूरी है।
पहले हमको तह जानना जरूरी है कि *श्राद्ध और तर्पण* है क्या?
🍁 श्राद्ध की परिभाषा 🍁
श्रद्धा पूर्वक जीवित *माता-पिता आचार्य, वृद्ध* जनों की सेवा को ही श्राद्ध कहते हैं।
🍁 तर्पण की परिभाषा 🍁
जब आप यथाशक्ति, यथा सामर्थ्य, अपने जीवित माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों की सेवा करते हैं तब आपकी सेवा से प्रसन्न व तृप्त होकर आपके माता-पिता आचार्य वृद्ध जन आपको आशीर्वाद देते हैं उसी को *तर्पण* कहते हैं। इस प्रकार जीवित *माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों* को ही 🌸 *पितर*🌸 कहते हैं।
मरने के बाद हमारे माता-पिता आचार्य वृद्ध जन *किस योनि में गये? किस देश में जन्म लिए? मानव बने या पशु या पक्षी या कीड़े -मकोड़े इसका ज्ञान धरती के किसी भी *पंडित, पुजारी, शास्त्री, आचार्य, पुरोहित, तांत्रिक, ज्योतिषी, ओझा,सोखा नहीं जानता!*
महाभारत काल से पहले भारत वर्ष में सभी *जीवित माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों* का श्रद्धा पूर्वक 🍁 श्राद्ध तर्पण 🍁 करते थे। पितर शब्द मरे हुओं के लिए नहीं अपितु जीवितों के लिए ही शास्त्रों में आता है।
🪷 *महद आश्चर्य!*🪷
ये संसार बड़ा विचित्र है। यहां लोग जीवित माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों का तिरस्कार करते हैं।कभी दो शब्द प्यार के नहीं बोलते! रोटी -पानी के लिए तरसाते है। जीते जी उन्हें *वृद्धाश्रम, मठ-मंदिरों* में छोड़ आते हैं। कुछ धनवान, अधिकारी,तो अपने विदेश में रहने लगते हैं। बूढ़े मां-बाप को घर,गांव में अकेले छोड़ देते हैं। ऐसे लोग जब उनके मरने के बाद *कौओं को , पंडितों को* भोजन कराकर पाप से मुक्त हो जाना चाहते हैं। ऐसे *यजमान व पुरोहितों* को यह बात याद रख लेनी चाहिए कि *कर्मों का फल न कम होता है।न माफ होता है वो भोगने ही पड़ते हैं* इसलिए जो भी 🥝 *श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध व तर्पण करना है जीवित माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों* का करना है जीते जी कर लेना चाहिए। मरने के बाद केवल 🌻 *पश्चाताप*🌻 ही हाथ लगता है।
🦩 *पाखंड लक्षण*🦩
जीवित पिता से दंगम दंगा।
मरा पिता पहुंचाये गंगा।।१ ।।
जीवित पिता से न पूछी बात!
मेरे पिता का दूध और भात।।२।।
🏵️ *दिव्य संदेश*🏵️
अपने बच्चों को।अपनी आने वाली पीढ़ियों को समझाइए कि जो भी श्राद्ध तर्पण करना यानि *सेवा -सुश्रुषा* करनी है जीते जी कर लो! यदि आपने नहीं समझाया तो आपके बच्चे भी जीवन भर आपको तड़पायेंगे और मरने के बाद *ताल-तलैया का गंदा पानी आपको पिलायेंगे। कौओं और पंडितों को आपका नाम लेकर आपको खिलायेंगे फिर भी आपको नहीं मिलेगा!* क्योंकि जब लिफाफे के ऊपर पता गलत होता है तो डाकिया उस लिफाफे को फ़ाड़ देता है। अब फैसला आपका है कि आप जीते जी सुख चाहते हो या * *मरने के बाद* के बाद श्राद्ध तर्पण चाहते हैं।सोच-समझकर निर्णय लेना। जैसा करेंगे वैसा ही भरेंगे!
🐿️ *खुद से प्रश्न करें*🐿️
आप एक सवाल अपनी आत्मा से पूछिए? आपके बच्चे जीते जी आपकी आज्ञा मानें! आपकी *तन -मन-धन* से सेवा करें या अभी कुछ न करें! आपके मरने के बाद आपको *कोवे को खिलाकर व पंडितों को खिलाकर कहें कि हमारे माता-पिता जहां हैं उनको ये भोजन पहुंचा देना! *क्या सही रहेगा?अपनी आत्मा से पूछो?* महाभारत में महर्षि वेदव्यास जी कहते हैं कि 🦩 आत्मन: प्रतिकूलानि न समाचरेत् 🦩 अर्थात् जो तुम अपने लिए नहीं चाहते हो वो व्यवहार दूसरों के लिए भी न करो! अतः यदि आप चाहते हैं कि जीते जी आपको। *स्वर्ग* मिले तो अपने माता-पिता आचार्य वृद्ध जनों का भी जीते जी ही श्राद्ध तर्पण कीजिए।
*आचार्य सुरेश जोशी*