सपनों की उड़ान

मंजिल तो सिर्फ उन्हें ही मिल पाती है

जिन के सपनों में भरपूर जान होती है

सिर्फ पंख के फड़फड़ाने से कुछ नहीं होता

मजबूत हौसलों से उड़ान होती है ।

मैं अपने सपनों की उड़ान को

आसमान तक भरने की कोशिश करती हूं

क्योंकि, मैं अपनी पहचान आसमान तक बनाना चाहती हूं ।

मैं कभी भी थक हार कर नहीं बैठना चाहूंगी , क्योंकि

मैं अपने मजबूत हौसलों की उड़ान से

आसमान को छूना चाहती हूं।

मैं खुद को किसी हद में समेट कर

कभी नही रखना चाहूंगी

क्योंकि , मैं तो इस ऊंची उड़ान से

हर जर्रे को महसूस करना चाहती हूं।

मैं अपनी बुलंदियों का बसेरा आसमान में बनाना चाहूंगी

क्योंकि ,

यही है मेरा इरादा और यही है

दिल का ख्वाब मेरा ।

एक दिन आसमान की बुंलदियों पर होगा बसेरा मेरा

तब जाकर एहसास होगा , हुआ

इस जीवन का सवेरा मेरा ।

मैंने अब अपने बंद परों को खोल दिया है

क्यौंकि ,अब मैंने आसमान से

रिश्ता जोड़ लिया है।

मुझे अब हर- हाल मैं है ऊंची उड़ान भरना

क्योंकि ,अब मुझे औरों के नहीं बल्कि खुद के पैरों पर है चलना ।

मुझे अपनी खुद की उड़ान से ही है

अपनी एक अनोखी पहचान बनाना

ना शौक है मुझे झुकना और ना किसी को झुकाना ।

मुझे भीड से हटकर कुछ अलग है कर दिखाना

किसी और की तरह नहीं बल्कि

मुझे खुद में है एक मिशाल बनना ।

जानती हूं इसमें मुश्किलें भी आएंगी हजार

पर, इससे घबराकर मैं कभी नहीं

बदलूंगी अपने विचार ।

मुझे अपने बुलंद हौसलों से है आसमान को छूना

और अपने इसी बुलंद हौसलों से ही है

खुद से खुद को जीतना ।

क्योंकि , मंजिलें तो उन्हें ही मिलती हैं

जिनमे सपनों में भरपूर जान होती है

सिर्फ पंख के फड़फड़ाने से कुछ नहीं होता

मजबूत हौसलों से ही उड़ान होती है ” ।

संजुला सिंह “संजू”

जमशेदपुर(झारखंड)