बस्ती – स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं के संचालन में पिछड़ने के कारण जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने सल्टौआ गोपालपुर तथा कुदरहा के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों का वेतन रोकने के लिए सीएमओ को निर्देशित किया है। कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने निर्देश दिया है कि इस वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं के संसाधन में सुधार के लिए कार्य किया जाएगा। उन्होंने सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारी तथा बीडीओ को निर्देशित किया है कि मरम्मत योग्य सीएचसी/पीएचसी तथा स्वास्थ्य केंद्र का स्टीमेट तैयार करें। इसमें बाउंड्रीवाल, मरीजों के लिए वेटिंग रूम, पेयजल, शौचालय, सड़क, पार्किंग तथा छत की मरम्मत आदि कार्य कराए जाएंगे। ऐसे सभी कार्यों का शिलान्यास आगामी 1 अगस्त को एक साथ किया जाएगा।
उन्होंने निष्क्रिय आशाओं के विरूद्ध कोई कार्यवाही ना किए जाने पर नाराजगी व्यक्त किया। उन्होंने सीएमओ को निर्देशित किया कि 1 सप्ताह के भीतर कार्यवाही करके अवगत कराएं। जिलाधिकारी के निर्देश पर पूर्व में 137 निष्क्रिय आशाओं को चिन्हित किया गया था, पुनः 97 निष्क्रिय आशाएं चिन्हित की गई एवं 3 माह पूर्व 37 निष्क्रिय आशाएं चिन्हित कर बीडीओ द्वारा नोटिस दिया गया, परंतु किसी के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी गण भुगतान के आधार पर निष्क्रिय आशाओं को चिन्हित करते रहे परंतु शासनादेश में इसका कोई उल्लेख ही नहीं है। शासनादेश के अनुसार प्रसव ना कराने वाली या ग्राम पोषण एवं स्वास्थ्य समिति की बैठक में अनुपस्थित रहने वाली एवं अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं में योगदान न करने वाली आशाओं को उनके पद से हटाने का उल्लेख है। जिलाधिकारी ने बैठक में शासनादेश पढ़कर भी सुनाया तथा इसके आधार पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। शासन से प्राप्त निर्देश के क्रम में उन्होंने रिक्त स्थानों पर आशाओं की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया। उन्होने प्रत्येक ब्लाक में आशाओं का सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्राइमरी स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्र खुल गए हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मेडिकल टीम भेजकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। इसके रोस्टर की जानकारी स्कूल एवं आंगनवाडी गोद लिए नोडल अधिकारियों को भी दी जाए ताकि वे वहां उपस्थित रहें। पूर्व में आरबीएसके द्वारा चिन्हित 120 बच्चों का समुचित इलाज न कराए जाने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त किया। जननी सुरक्षा योजना में 4436 लाभार्थियों का भुगतान न किए जाने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त किया, इसमें से 2843 केवल मेडिकल कॉलेज की है।
जिलाधिकारी ने जनपद के सभी 369 स्वास्थ्य केंद्रों पर एएनएम की तैनाती करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि जनपद में कुल 455 एएनएम उपलब्ध है, फिर भी कुछ केंद्र अभी भी खाली हैं तथा कहीं-कहीं पर दो एवं तीन एएनएम की तैनाती की गई है। जिलाधिकारी ने 13391 पंजीकृत गर्भवती महिलाओं के सापेक्ष मात्र 7569 महिलाओं का जांच कराए जाने पर असंतोष व्यक्त किया तथा निर्देश दिया कि सभी गर्भवती महिलाओं को आशा सीएचसी/पीएचसी पर ले जाकर के एएनसी की जांच पूरी कराएं।
परिवार नियोजन के अंतर्गत 2266 के सापेक्ष मात्र 46 महिलाओं तथा अट्ठारह के सापेक्ष एक पुरुष नसबंदी कराए जाने पर भी जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त किया तथा लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया है। समीक्षा में उन्होंने पाया कि परिवार नियोजन के अन्य संसाधनों अंतरा इंजेक्शन, आइयूसीडी आदि का भी पात्र दंपति को सुविधा नहीं दी गई हैं। जनपद के 40 पीएचसी में से 11 पर पीपीआई यूसीडी, 17 पर आइयूसीडी तथा 39 पर अंतरा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
समीक्षा में उन्होंने पाया कि एक कदम सुपोषण की ओर अभियान में 7 जून से 2 जुलाई तक 84988 के सापेक्ष 32428 मात्र 38 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त हुई है, जबकि राज्य का मानक 60 प्रतिशत है। इसमें 10 विकास खंडों की स्थिति बेहद खराब है। जिलाधिकारी ने सभी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिका को इस अभियान में सक्रिय करने का निर्देश दिया है। ई-कवच पोर्टल पर टीकाकरण, सैम बच्चों का विवरण तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का विवरण शतप्रतिशत अपलोड करने का उन्होंने निर्देश दिया है।
समीक्षा में उन्होंने पाया कि जनपद में कुल 284 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं, जिसमें से केवल 90 पर विद्युत कनेक्शन है तथा 73 द्वारा कनेक्शन के लिए आवेदन किया गया है। जिलाधिकारी ने शेष 121 का विद्युतीकरण कराए जाने का निर्देश दिया है। केवल 29 सेंटर पर शौचालय, एक पर रनिंग वाटर तथा 147 पर ब्रीडिंग की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने सभी सेंटरों पर उपरोक्त सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया है कि ओपीडी में देखे गए कुल मरीजों में से 5 प्रतिशत का बलगम टेस्ट कराने के लिए नमूना लैब को भेजा जाए। कुल 240494 मरीज ओपीडी में डॉक्टरों द्वारा देखे गए, परंतु 10195 मात्र 4.2 प्रतिशत मरीजों का बलगम नमूना लैब को भेजा गया। जनपद में सभी सीएचसी/ पीएचसी पर कंपनी द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र करने की व्यवस्था है, परंतु यह प्रतिदिन नहीं किया जा रहा है, इसके अलावा सल्टौआ गोपालपुर में यह सुविधा उपलब्ध ही नहीं है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि बायो मेडिकल वेस्ट प्रतिदिन उठाया जाए तथा निस्तारण किया जाए। प्रभारी चिकित्सा अधिकारीगण अलग से इसका विवरण रजिस्टर में दर्ज करें तथा तद्नुसार भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
बैठक मे यूनिसेफ के सुरेंद्र कुमार ने बताया कि फ्रंटलाइन वर्कर आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकत्री का 11 ब्लॉक में प्रशिक्षण बाकी है। उन्होंने बताया कि संस्थागत प्रसव के बाद बच्चों का हेपिटाइटिस बी, एमआर तथा अन्य टीके शत प्रतिशत नहीं लगाए जा रहे हैं। बैठक का संचालन जिला कार्यक्रम समन्वयक राकेश पांडे ने किया। इसमें सीडीओ डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, सीएमओ डॉक्टर आरपी मिश्रा, एसीएमओ डॉक्टर ए के मिश्रा, नगरीय नोडल डॉ. एके कुशवाहा, डीआईओ डॉ. विनोद कुमार, डब्ल्यूएचओ की अनीता सिंह, मलेरिया अधिकारी आइ .ए. अंसारी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारीगण तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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