🪴🪴 ओ३म् 🪴🪴
🌻 *विहार में वेद -विहार*🌻
आर्य समाज वर्तमान में सत्य सनातन वैदिक धर्म का विश्व में *सबसे बड़ा संवाहक* है। 💐वर्ष ३६५ दिन संपूर्ण विश्व में प्रतिदिन सनातन वैदिक संस्कृति का प्रचार करने वाली संस्था आर्य समाज *ऋषियों के ऋण से उऋण* होने के लिए प्रतिवर्ष विश्व के कोने-कोने में स्थापित आर्य समाजों में *श्रावणी उपाकर्म के वैनर तले* वेद -व्याख्यान माला कार्यक्रम चलाती है💐
इस कार्यक्रम में केवल *वेद मंत्रों पर व्याख्यान करके ऋषि-मुनियों का श्राद्ध तर्पण कर वेदों की रक्षा व उनका जन-जन को उपदेश किया जाता है।*
इस वर्ष मुझे इस पावन पुनीत कार्यक्रम में *विहार प्रांत की सांस्कृतिक नगरी आर्य समाज मुजफ्फरपुर में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ!* एक सप्ताह तक वेद मंत्रों की व्याख्या व यजुर्वेद संहिता का पाठ के साथ वृहद यज्ञ एवं सामूहिक सहभोज कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है।
🌹* *कार्यक्रम प्रस्तावना*🌹
ऋषि तर्पण सप्ताह के इस कार्यक्रम का शुभारंभ *वैदिक यज्ञ व ध्वजारोहण* के साथ प्रारंभ हुआ। आर्य समाज के यशस्वी प्रधान आदरणीय महाशय महेश जी व उनके समस्त पदाधिकारी मंडल ने यज्ञो परांत *गगन मंडल में 🪷 ओ३म् पताका 🪷 फहराईं और वैदिक जयघोषों का तुमुल नाद* किया।
🌸 *संस्कृत सम्मेलन*🌸
साप्ताहिक उपाकर्म की यह श्रृंखला आर्यों के उत्साह,साहस व प्रबल जिज्ञासा के चलते आठ दिन तक चला। इन समस्त वेद -व्याख्यान मालाओं को *सम्मेलन शीर्षक अभियान के तहत मनाया गया। प्रथम दिवस की वेद व्याख्यान माला संस्कृत सम्मेलन के नाम से संयोजित की गई* ।
संस्कृत भाषा भी ईश्वरीय वाणी वेद की तरह 📚 ईश्वरीय वाणी संस्कृत 📚 के रूप में जन्म लेती है। सर्व प्रथम इस भाषा की उत्पत्ति परमात्मा ने *ऋग्वेद में* की। जैंसे अमैथुनी सृष्टि के ऋषियों को परमात्मा ने वेद का ज्ञान दिया वैसे ही संस्कृत भाषा का भी ज्ञान दिया। बाद में *महर्षि पाणिनि, महर्षि पतंजलि, आचार्य यास्क आदि* से संस्कृत भाषा को मानवीय स्तर पर विस्तारित किया। मूलतः वैदिक संस्कृत का ज्ञान भी चार ऋषियों के शुद्ध अंत:करण में हुआ। वेदों को पढ़ने पर आज भी वैदिक व लौकिक संस्कृत की अनुमति होती रहती हैं। जैंसे ईश्वर देवता है वैसे उसकी भाषा संस्कृत भी देववाणी है।
🌸 *वेद-सम्मेलन*🌸
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर वेद मंत्रों द्वारा ही यह सिद्ध किया कि वेद निराकार ईश्वर की अमृतवाणी है जो अमैथुनी सृष्टि के चार ऋषि *अग्नि,वायु, आदित्य, अंगिरा को क्रमश: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद* के रूप में उनके अंत:करण में प्राप्त हुआ।
🌸 *आर्य सम्मेलन*🌸
कार्यक्रम की तृतीय संध्या में आर्य सम्मेलन हुआ। जिसमें वेद मंत्र के प्रमाण से ही प्रमाणित किया गया कि आर्य भारत के पूर्वज थे , हैं और रहेंगे। भारत में ही वे सम्पूर्ण विश्व में भी वेद की आज्ञा का पालन करने गए कि ईश्वर ने वेद में आज्ञा दी कि *प्रथम स्वयं आर्य बनो पुनः विश्व को भी आर्य* बनाओ!
🌸 *सामाजिक क्रांति सम्मेलन*🌸
कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस पर सामाजिक क्रांति सम्मेलन पर चिंतन दिया गया कि जब-जब मानव ईश्वर संविधान की उपेक्षा करता उस समय सृष्टि असंतुलित हो जाती है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार, महामारियां, अतिवृष्टि होने लगती है।ऐसे समय में महापुरुष ईश्वरीय व्यवस्था में आकर सामाजिक क्रांति द्वारा सृष्टि संतुलन को पुनर्स्थापित करते हैं। *सतयुग में यह काम योगी महादेव शंकर ने। त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने। द्वापर में योगिराज श्रीकृष्ण जी ने और कलियुग में महर्षि दयानंद सरस्वती जी* ने किया।इस समाजिक क्रांति का उद्देश्य सत्य सनातन वैदिक संस्कृति की रक्षा करना था।
🌹 *संस्कार सम्मेलन*🌹
कार्यक्रम के पंचम दिवस पर वेद सम्मेलन में *संस्कृत -संस्कृति व सभ्यता* के विकास के नींव में संस्कार ही होते हैं।मानव सभ्यता विकास में १६ संस्कारों को नैमित्तक ज्ञान से जाने बिना वैदिक संस्कृति का विकास असंभव है।
🌸 *महिला सम्मेलन*🌸
कार्यक्रम के छठे दिन वैदिक संस्कृति में मातृशक्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि वेद मंत्रों की रक्षा करने वाले व द्रष्टा *केवल ऋषि ही नहीं अपितु लोपामुद्रा, इंद्राणी,अपाला,शची आदि अनेक ऋषिकायें भी थी* सार्वजनिक क्षेत्र में मातृशक्ति ने क्षत्राणी, अतंरिक्ष,सेना,व राजनीति का दायित्व भी निभाया है और आज भी सक्रिय हैं।
*🌸 पाखंड निवारण*🌸
कार्यक्रम के *सप्तम दिवस* पर अवतारवाद,गुरुडम वाद, जातिवाद,वर्ग विशेष के लिए आरक्षण, तथाकथित काल्पनिक भूत -प्रेत पूजा,जिन पूजा, कब्र पूजा मानव समाज को खंडित व विभाजित करता है। धर्म के नाम जो रक्तपात होता है वो विश्व युद्ध से भी भयंकर होता है।जब तक समाज में *एक भाषा,एक ईश्वर,एक अभिवादन,एक ध्वज, एक उपासना पद्धति,एक धर्म पुस्तक* नहीं होगी समाज पाखंड की ओर बढ़ेगा। सत्य सनातन वैदिक धर्म ही संपूर्ण मानवता को संगठित कर सकता है।
🌰 *राष्ट्र रक्षा सम्मेलन*🌰
राष्ट्र के दो शरीर होते हैं।एक राष्ट्र का भौतिक शरीर जिसमें *उसकी भौगौलिक सीमाएं व उसके नागरिकों की सुरक्षा* महत्वपूर्ण होती है और दूसरा राष्ट्र की आत्मा यानि उसका अभौतिक शरीर *जिसमें उसकी संस्कृति, सभ्यता, भेष-भूषा, सांस्कृतिक विरासत व संस्कारों का समायोजन* होता है। राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्रथम अपनी शक्ति को अनुभव करे कि वह *बुद्धि प्रधान है या बाहु प्रधान है या धन प्रधान है या संगठन प्रधान* इन चारों में जो भी शक्ति उसके पास पर्याप्त है उसको राष्ट्र सेवा में बलिदान करके एक सच्चे राष्ट्रभक्त होने का प्रमाण प्रस्तुत करें।
🏵️ *राष्ट्रीय संगोष्ठी*🏵️
आदरणीय डॉ व्यास नन्दन शास्त्री जी जो रामेश्वर महाविद्यालय मुजफ्फरपुर विहार के प्राचार्य भी हैं, आपने विद्यालय प्रांगण में दो दिवसीय *राष्ट्रीय संगोष्ठी* का आयोजन किया जिसमें समस्त विद्यालय परिवार व *डाक्टर भीमराव आंबेडकर विश्व विद्यालय मुजफ्फरपुर* ने भी प्रतिभाग कर संगोष्ठी को सफल किया। विद्यालय परिवार ने भविष्य में इस कार्यक्रम को विस्तार रुप देने का भी संकल्प लिया है।
🍁 *अतिविशेष*🍁
इन सभी सम्मेलनों पर जो व्याख्यान हुए उनके लिए प्रतिदिन अलग-अलग *वेद मंत्र* होता था विस्तार भय से हम उन मंत्रों की प्रस्तुति नहीं कर पा रहे हैं।
🥝 *मंचस्थ विद्वान*🥝
[१] डां० व्यास नन्दन
शास्त्री स्थानीय।
[२] पं० रुक्मिणी जोशी
वैदिक भजनोपदेशिका
बाराबंकी उत्तर प्रदेश।
[३] माता धर्म शीला
स्थानीय।
[४] कमलेश दिव्यदर्शी
जी स्थानीय।
🌻 *कार्यक्रम संयोजक*🌻
आचार्य व्यास नंदन
शास्त्री मुजफ्फरपुर।
🧘 *योग शिविर*🧘
प्रतिदिन आर्य समाज मंदिर के भव्य प्रांगण में कर्मठ आर्य वीर आदरणीय योग शिक्षक *प्रमोद जी* योग कक्षाएं चलाते थे।
🔥 *यज्ञ शेष वितरण*🔥
आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर के पदाधिकारियों ने अत्यंत आदर्श आर्यो के लिए रखा। प्रतिदिन प्रातः काल और रात्रि को दूर -दूर से आने वाले *महर्षि दयानंद के अनुयायियों* के लिए उत्तम 🪷 जलपान 🪷 आवास 🪷 भोजन 🪷 व रात्रि विश्राम की व्यवस्था थी।जिसका लाभ आर्यों ने लिया और भूरि -भूरि प्रशंसा की। इस कार्य में आर्य समाज दानापुर के ७० वर्षीय रमेश जी व आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर के *उपमंत्री डॉ विमलेश विमल* एवं योगाचार्य प्रमोद जी का अप्रतिम योगदान रहा । महाराष्ट्र से आए *सेवक नरेंद्र पतीले* ने अपनी सेवा से सबका हृदय जीत लिया।
इस प्रकार विहार की *सांस्कृतिक राजधानी मुजफ्फरपुर में रामेश्वर महाविद्यालय मुजफ्फरपुर विहार के प्राचार्य प्रोफेसर व्यास नन्दन शास्त्री जी* के अथक प्रयास व समर्पण से यह कार्यक्रम आकाश की बुलंदियों को छू रहा था।
🪷 *आभार प्रस्तुति*🪷
इस उत्कृष्ट आयोजन के लिए मैं *समस्त आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर विहार के पदाधिकारियों व रामेश्वर महाविद्यालय मुजफ्फरपुर विहार परिवार* की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि समाज सेवा व वैदिक धर्म के प्रति आपकी निष्ठा अक्षुण्ण रहे। धन्यवाद।
आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*
🌸 कार्यालय कक्ष 🌸
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश।
रात्रि ८.४५ *ओ३म्*