ज़ुल्म का हद से बढ़ जाना तबाही की निशानी है, डरो तुम उस खुदा से यह कहावत भी पुरानी है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,


अनुराग लक्ष्य, 15 जनवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
पूरी दुनिया में अपनी दादागिरी और दबदबे को कायम करने वाले सुपर पावर अमेरिका की जो कहानी है उसे पूरी दुनिया अपनी आंखों से देख रही है। तबाही बर्बादी और वोह खौफनाक मंज़र, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि अमेरिका पर जैसी कोई आग की बमबारी हो रही हो, लेकिन इसके पीछे की हकीकत सिर्फ खुदा का गुस्सा है और कुछ नहीं। ऐसा लगता है कि जैसे सरफिरी आग अपना विकराल रूप धारण कर अमेरिका को निगल जाना चाहती है। जो इस बात का संकेत है कि जाने अनजाने में अमेरिका से कोई ऐसी भूल हो गई है जो खुदा के नजदीक काबिल ए माफी नहीं है।
आज अमेरिका के इस हालात पर आज से तकरीबन 25 साल पहले कही हुई एक ग़ज़ल के अशआर मुझे याद आ गए कि,
,,,, दिख रही है आज जो हर दिल में आग,
डाल देगी कल तुम्हें मुश्किल में आग,
इस कदर रूठा है तुमसे वोह खुदा,
चांद सूरज तारों की झिलमिल में आग ,,,,
क्योंकि रब कुरआन के हवाले से यह बार बार पैगाम दे रहा है कि हमने अगर तुमको दुनिया में ताकत रुतबा और माल ओ असबाब से लबरेज़ कर दिया है तो तुम मेरी मखलूक के लिए आसानियाँ पैदा करो, न कि किसी की तबाही की वजह। और तब यह कहना पड़ता है कि अमेरिका के चरित्र और किरदार पर एक नज़र आप ज़रूर डालें, कि अमेरिका आज तक क्या करता आया है।