🌰🌰 ओ३म् 🌰🌰
🌻 *विहार में वेद वाणी*🌻
अद्वितीय प्रधानमंत्री चाणक्य, महाराज भोज, नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय व प्राचीन मगध व अर्वाचीन भूमि विहार के *आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरपुर में वेद ज्ञान की पावन गंगा* बह रही है। कार्यक्रम का प्रथम दिवस 🏵️ *संस्कृत दिवस*🏵️ के रूप में मनाया गया। संस्कृत का जन्म महर्षि पाणिनि, पतंजलि व यास्क मुनि ने नहीं अपितु *स्वयं परमपिता परमात्मा* ने किया।इन ऋषियों ने इस भाषा को ईश्वरीय आज्ञा मानकर अधिक विस्तार रुप दिया। ईश्वर ने इस भाषा को *भू-लोक के मानव मात्र को ऋग्वेद के रूप में प्रथम संस्कृत भाषा को दिया। क्योंकि *ईश्वरीय वाणी वेद* को इसी भाषा में दिया गया।
आज दुनिया के अंदर संस्कृत को छोड़कर जितनी भी भाषाएं हैं वो कहीं न कहीं से *संस्कृत के ही विकृत रूप है* इन संस्कृत से विकृत भाषाओं का जन्म मानवों ने देश,काल, परिस्थितियों के अनुसार किया!
🌹 *प्रबल जिज्ञासा*🌹
इस बात का क्या प्रमाण है प्रथम ज्ञान,प्रथम भाषा जनक,प्रथम शिक्षक व संस्कृत का जन्म वेदों से हुआ?
🌼 *यथार्थ बोध*🌼
इस बात का प्रमाण स्वयं वेद हैं। यद्यपि वेद में अनेक मंत्र में परंतु यहां पर समयानुसार एक वेद मंत्र प्रस्तुत करते हैं।
*ओ३म् तस्माद्यात्सर्वहुत:ऋच: सामानि जज्ञिरे। छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत।। यजुर्वेद ३१/७*
अब इस मंत्र के अर्थ पर ध्यान दीजिए।
*तस्मात् यज्ञात सर्व हुत:* = अर्थात् सत् जिसका कभी नाश नहीं होता।चित्त जो सदा ज्ञानरुप है जिसको अज्ञान लेशमात्र भी नहीं है। आनंद जो सदा सुख स्वरूप और सबको सुख देने वाला है। इत्यादि लक्षणों से युक्त पुरुष जो सब जगह परिपूर्ण हो रहा है।जो सब मनुष्यों का उपासक इष्टदेव और सब सामर्थ्य से युक्त है उसी परं ब्रह्म से * *ऋच:* = ऋग्वेद। *यजु:* = यजुर्वेद। *सामानि* = सामवेद और *छन्दांसि* = इस शब्द से अथर्ववेद यानि चारों वेद उत्पन्न हुए। इस प्रकार से 🌸 जज्ञिरे 🌸अजायत 🌸 तस्मात् 🌸 यज्ञ शब्द बता रहे हैं कि * *वेदों की उत्पत्ति और संस्कृत की उत्पत्ति* ईश्वर से ही हुई है!
🌹 *प्रबल जिज्ञासा*🌹
निराकार ईश्वर से संस्कृत में शब्द रुपी वेद कैसे निकले?
🌼 *यथार्थ बोध*🌼
ईश्वर को अपने कार्य के लिए *मुख व प्राण आदि* की आवश्यकता नहीं होती।इसको एक उदाहरण से समझें। हमारे मन में मुखादि अवयव नहीं हैं फिर भी मन के भीतर अनेक प्रकार के संकल्प विकल्प के संवाद व उथल-पुथल होते रहता है। ऐसे ही परमेश्वर को भी जानना चाहिए।
🌹 *प्रबल जिज्ञासा*🌹
ऋग्वेद से ही संस्कृत भाषा क्यों निकली ?
🌼 *यथार्थ बोध*🌼
ऋग्वेद विश्व का प्राचीन एवं प्रथम पुस्तक है। ऋग्वेद का प्रतिपाद्य विषय 🍁 पदार्थ विद्या का ज्ञान है। ज्ञान ही प्रथम सोपान है कर्म का।प्रथम ज्ञान वेद और प्रथम भाषा संस्कृत है। इसीलिए कहा जाता है कि संस्कृत का जन्म ऋग्वेद से हुआ।
🌹 *प्रबल जिज्ञासा*🌹
ईश्वर ने संस्कृत भाषा में वेदज्ञान देकर पक्षपात क्यों किया?
🌼 *यथार्थ बोध*🌼
यदि किसी अन्य देश -भाषा में वेदज्ञान देता तब तो ईश्वर पक्का *पक्षपाती* होता। अब रही बात संस्कृत की तो *संस्कृत किसी देश की नहीं अपितु प्रथम मानव की प्रथम भाषा* है और वेद भाषा सभी भाषाओं की जननी है।
🏵️ *आओ संस्कृति बोलें*🏵️
श्रावणी पर्व का सबसे बड़ा संदेश है कि हम सभी भारत को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं तो उसका एक मात्र उपाय है *परिवार में संस्कृत भाषा में संवाद एवं विनोद* ध्यान रहे कोई नेता भारत को विश्व गुरु नहीं बना सकता है।भारत को विश्व गुरु बना सकता है तो *केवल -केवल संस्कृत भाषा*।
इस प्रकार 📚 वेद ज्ञान गंगा का प्रथम दिवस का कार्यक्रम संस्कृत दिवस 📚 के रूप में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ 🔥 *वैदिक अग्निहोत्र, श्रावणी उपाकर्म एवं पूर्णिमा की विशेष आहुतियों 🔥 के साथ हुआ।* तदुपरांत आर्य समाज के प्रधान जी ने ध्वजारोहण किया। प्रातः कालीन सत्संग में *पंडिता रुक्मिणी जोशी वैदिक भजनोपदेशिका* के ईश्वर भक्ति के गीतों से हुआ। कार्यक्रम का संचालन आर्य विद्वान। *प्रोफेसर व्यास नन्दन शास्त्री* द्वारा संचालित किया गया।
आचार्य सुरेश जोशी
🪷 * *कार्यालय कक्ष*🪷
आर्य समाज मंदिर
मुजफ्फरपुर विहार।