स्वतंत्र लेखन मंच पर पंच दिवसीय आयोजन में पाँच दिवस 45 साहित्य प्रेमियों के सहयोग से अत्यंत उत्साह व जोश के साथ मनाए गए।
मंच के संस्थापक डॉ विनोद वर्मा दुर्गेश “मुकुंद” की अध्यक्षता में मित्रता दिवस, हरियाली तीज, हथकरघा दिवस, नागपंचमी व पुस्तक दिवस मनाए गए।
मंच की अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका” ने बताया कि सप्ताह के आरंभ में सोमवार को *मित्रता दिवस* के उपलक्ष्य में मंच संचालक अशोक दोशी “दिवाकर” जी के नेतृत्व में 15 रचनाकारों ने मनहरण घनाक्षरी छंद में बेहतरीन सृजन कर घनाक्षरी छंद को अति सुंदर ढंग से गाकर वीडियो प्रस्तुति की।
अशोक दोशी “दिवाकर” सहित सुरेशचन्द्र जोशी “सहयोगी”, नीरजा शर्मा “अवनि”, संजीव भटनागर “सजग”, अरुण ठाकर ज़िंदगी “कवित्त”, दिव्या भट्ट “स्वयं”, रंजना बिनानी “स्वरागिनी”, रेखा पुरोहित “तरंगिणी”, अनु तोमर “अग्रजा”, मंजुला सिन्हा “मेघा”, डॉ पूनम सिंह “सारंगी”, नीतू रवि गर्ग “कमलिनी”, वीना टंडन “पुष्करा”, मोहन प्रसाद यादव “साधक” एवं अनु भाटिया को बेहतरीन घनाक्षरी गायन के लिए नयनाभिराम सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
द्वितीय दिवस मंच पर मंच संचालिका अनु तोमर “अग्रजा” के मार्गदर्शन में हरियाली तीज मनाते हुए 35 रचनाकारों ने हरियाली तीज विषय पर अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ प्रस्तुत कर हमेशा की तरह मंच पर पारंपरिक त्योहारों को मनाने की परंपरा क़ायम की। 5 श्रेष्ठ रचनाओं को चयनित किया गया जिनके लिये बेलीराम कनस्वाल, बालमुकुंद दि्वेदी, मंजुला सिन्हा “मेघा”, सुनील कुमार, नंदा बमराड़ा “सलिला” को अति सुन्दर सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
तृतीय दिवस हथकरघा दिवस पर मंच संचालिका कुसुम लता “तरुषी” के दिशा निर्देशानुसार छंद मुक्त काव्य में अपनी भावाभिव्यक्ति देकर हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित करने का आवाहन किया।
5 श्रेष्ठ रचनाओं को निर्णायक मंडल द्वारा चयनित करके सम्मानित किया गया। रचनाकारों के नाम इस प्रकार हैं:
नृपेंद्र चतुर्वेदी “सागर”, वीना टंडन “पुष्करा”, अनु तोमर “अग्रजा”, अरुण ठाकर ज़िंदगी “कवित्त” तथा डॉ पूनम सिंह “सारंगी”।
चतुर्थ दिवस नागपंचमी के रूप में मनाया गया।
बिटिया अमिता गुप्ता नव्या “सुरभी” द्वारा अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी देकर विषय निरूपण किया गया। 15 सक्रिय रचनाकारों के द्वारा छंदमुक्त कविताओं के माध्यम से नागपंचमी दिवस का महत्व समझते हुए सृजन किया गया।
नियमानुसार पाँच श्रेष्ठ रचनाकारों अनामिका वैश्य आइना “अनुजा”, विजय कनौजिया, माधुरी श्रीवास्तव “यामिनी”, मोहन प्रसाद यादव “साधक” ,चंद्रभूषण निर्भय को सम्मानित किया गया।
पाँच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिवस पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में *कालजयी पुस्तकें* विषय पर बेहद ख़ूबसूरती से अभूतपूर्व जानकारी देकर नीरजा शर्मा “अवनि” ने मंच संचालन किया। 25 रचनाकारों ने पुस्तकों के प्रति अपने प्रेम को दर्शाते हुए कालजयी पुस्तकों की अद्भुत जानकारी देकर विषय को सार्थक बनाया। पाँच श्रेष्ठ रचनाकारों जिनको अति सुंदर सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया उनके नाम अशोक दोशी “दिवाकर”, कुसुम लता “तरुषी”, शिवशंकर लोध राजपूत, समीर उपाध्याय तथा बबिता भाटिया हैं
45 सक्रिय, समर्पित व कर्तव्यनिष्ठ साहित्य साधकों की सहभागिता से पंच दिवसीय आयोजन सफलतापूर्वक अपनी अंतिम पायदान पर पहुँचा और रचनाकारों ने स्वैच्छिक विषय व विधा में भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की ।
इनके अतिरिक्त डॉ अनीता राजपाल “वसुंधरा”, सिद्धि डोभाल “सागरिका”, नीता कपूर, मोहनी गुप्ता, डॉ राम कुमार झा “निकुंज”, किरण भाटिया “नलिनी”, नीरू बंसल, स्वाति जैसलमेरिया, के एल महोबिया की गरिमामयी उपस्थिति ने भी आयोजन को गति प्रदान की।
*स्वतंत्र लेखन मंच- अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम* की संचालिका/संयोजिका/ संरक्षिका व अध्यक्षा डॉ० दवीना अमर ठकराल “देविका” ने बताया कि कार्यकारिणी के सक्रिय व समर्पित सदस्यों के अतुलनीय सहयोग से ही प्रत्येक आयोजन सरलता, सहजता व आसानी से सफलतापूर्वक सम्पन्न होता है।
मंच के प्रति पूर्णतया समर्पित जिन रचनाकारों ने अपनी निरंतर, अनवरत सहभागिता व उपस्थिति देकर आयोजन को सार्थकता प्रदान की, उनके नाम निम्नवत हैं:
फूल चंद्र विश्वकर्मा” भास्कर”, नीरजा शर्मा “अवनि”, सुरेशचन्द्र जोशी “सहयोगी”, अशोक दोशी “दिवाकर”, संजीव भटनागर “सजग”,नीतू रविगर्ग “कमलिनी” ,अरुण ठाकर ज़िंदगी ”कवित्त”, अनु तोमर “अग्रजा”, नृपेंद्र चतुर्वेदी “सागर”, संगीता चमोली “इंदुजा”, रंजना बिनानी “स्वरागिनी” , सुमन किमोठी “वसुधा”, कुसुम लता “तरुषी”, डॉ पूनम सिंह “सारंगी”, मंजुला सिन्हा “मेघा”, नंदा बमराड़ा “सलिला”, दिव्या भट “स्वयं”, वीना टंडन “पुष्करा”, होशियार सिंह यादव “बैरागी”,अनामिका वैश्य आइना “अनुजा”, मोहन प्रसाद यादव “साधक”, रेखा पुरोहित “तरंगिणी”, स्वर्ण लता सोन ”कोकिला”।
आयोजन को समापन की ओर ले जाते हुए मंच अध्यक्षा डॉ० दवीना अमर ठकराल “देविका” ने बताया आगामी सप्ताह स्वतंत्र लेखन मंच अपने दो वर्ष पूरे करने जा रहा है। द्वितीय वार्षिकोत्सव पर स्वतंत्र लेखन परिवार के वरिष्ठ साहित्यकार अत्यंत हर्षित, उल्लसित व उमंगित मन से मंच पर लेकर आ रहे हैं एक “अद्भुत आयोजन”, *हम साथ साथ हैं* का नारा लेकर।