कुदरहा / बस्तीः भक्तों के पापों का हरण कर लेने वाला ही ईश्वर है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने का लाभ तभी है जब हम इसे अपने जीवन में उतारें और उसी के अनुरूप व्यवहार करें।
यह सदविचार अवध धाम से पधारे कथा वाचक प्रदीप शास्त्री जी महाराज ने श्री ब्रम्हबाबा मन्दिर परिसर कोरमा में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद भागवत के चौथे दिन ब्यास पीठ से प्रवचन सत्र मे ब्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कथा सुनने से मानव जीवन में संस्कार का उदय होता है। जीवन में कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आ जाए मुनष्य को अपना धर्म व संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे ही मनुष्य जीवन के रहस्य को समझ सकते हैं। कहा कि जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन धन्य है। ईश्वर ने विभिन्न लीलाओं के माध्यम से जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसे हर व्यक्ति को ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन मूल्यों के बारे में जानकारी मिलने के साथ-साथ अपने कर्तव्य को भी समझा जा सकता है।
कथा में मुख्य यजमान जयकरन ओझा, यज्ञाचार्य रोहित मिश्रा, दुर्गेश ओझा, राघव शरण ओझा, आद्या प्रसाद ओझा, दुर्गेश ओझा,संदीप मिश्रा, राकेश कश्यप, निक्कू शर्मा, राम कृपाल शर्मा, राजाराम चौरसिया, राम देव चौधरी, शीतला ओझा, श्रीपति ओझा, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।