*ओ३म्*
📚 ईश्वरीय वाणी वेद 📚
*ओ३म् यां मेधां देवगणां पितरश्चोपासते।तया मामद्यं मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा*
।। यजुर्वेद ३२/१४।।
🌸 मंत्र का पदार्थ 🌸
🍁 हे अग्ने = स्वयं प्रकाश रूप होने से विद्या के जताने हारे ईश्वर वा अध्यापक विद्वान् !🍁 देवगणा: = अनेकों विद्वान च = और 🍁पितर: = रक्षा करने हारे ज्ञानी लोग 🍁 याम= जिस🍁 मेधाम् = बुद्धि या धन को 🍁उपासते= प्राप्त होके सेवन करते हैं। 🍁तया = उस🍁 मेधया = बुद्धि या धन से🍁 माम= मुझ को🍁 अद्य = आज 🍁स्वाहा = सत्य वाणी से 🍁मेधाविनम् = प्रशंसित बुद्धि वा धन वाला🍁 कुरु = कीजिए।🍁
🌴 *मंत्र की मीमांसा*🌴
हे परमेश्वर! *जिस मेधा बुद्धि* की देव और पितर प्रशंसा करते हैं।जिसकी उनको भी इच्छा रहती है। हमें भी उस मेधा बुद्धि से युक्त कर दें और। *इसी क्षण* कर दें और दूसरों को भी इसी तरह बुद्धिमान कर दें।
एक समय था जब। *महात्मा चाणक्य* भारत के महामंत्री थे। उनके समय में भारत की सीमाएं *ईरान तक* थी। *अफगानिस्तान से आगे ईरान* भारत का अभिन्न अंग था । यूरोप में ये सीमाएं *अराकान* तक थीं और *असम* से आगे *वर्मा* तक थी। महामंत्री चाणक्य इस विशाल देश का प्रबंध करते थे। पाटलिपुत्र के बाहर जिसे आज *पटना* कहते हैं गंगा के किनारे एक झोपड़ी में रहते थे। *मिट्टी के वर्तनों* में खाना बनाते थे वे महात्मा चाणक्य प्रतिदिन प्रातःकाल भगवान से प्रार्थना करते थे!!!
* *हे भगवान्! यदि मुझसे कोई अपराध हो गया हो तो मेरी झोपड़ी छीन लेना*। *मेरे मिट्टी के वर्तन ले लेना ।मेरा स्वास्थ्य ले लेना! परंतु मेरी बुद्धि न लेना*
इसी प्रकार महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने *बुद्धि की महानता* का वर्णन करते हुए कहा है कि….. *ईश्वर से मांगना है तो जन्म से लेकर मुक्ति तक जो भी मांगोगे वह मिलेगा।वह सब कुछ देने वाला है। सब कुछ दे सकता है। परंतु सबसे पूर्व बुद्धि मांगो! वह मिल जाए तो सब कुछ मिल सकता है ।*
इस वेद मंत्र में भी परमात्मा से बुद्धि की प्रार्थना पुरुषार्थ पूर्वक मांगने की प्रेरणा की है। क्योंकि इस भौतिक संसार में *बुद्धि व बुद्धिमानों* का ही साम्राज्य चारों ओर है।आओ हम सभी पावन गायत्री मंत्र का प्रतिदिन पाठ करके बुद्धि को प्राप्त करें।
आचार्य सुरेश जोशी
🪷 *वैदिक प्रवक्ता*🪷