ईश्वरीय वाणी वेद -आचार्य सुरेश जोशी

🌲 *ओ३म्*🌲
🚩 ईश्वरीय वाणी वेद 🚩
*ओ३म् ओमासश्चर्षणीधृतो विश्वे देवास आ गत। दाश्वांसो दाशुष: सुतम्*
।। ऋग्वेद १/३/७।।
🐯 *मंत्र का पदार्थ*🐯
(ओमास: ) जो अपने गुणों से संसार के जीवों की रक्षा करने, ज्ञान से परिपूर्ण,विद्या और उपदेश में प्रीति रखने, विज्ञान से तृप्त, यथार्थ निश्चय युक्त,शुभ गुणों कै देने और सब विद्याओं को सुनाने, परमेश्वर के जानने के लिए पुरुषार्थी, श्रेष्ठ विद्या के गुणों की इच्छा से दुष्ट गुणों के नाश करके, अत्यंत ज्ञान वान ( चर्षणीधृत: ) सत्य उपदेश से मनुष्यों के सुख के कारण करने और कराने ( दाश्वांस) अपने शुभ गुणों से सबको निर्भय करने हारे ( विश्वेदेवास: ) सब विद्वान लोग हैं, वे ( दाशुष: ) सज्जन मनुष्यों के सामने ( सुतम् ) सोम आदि पदार्थ और विज्ञान का प्रकाश ( आ गत ) नित्य करते रहें।
📓 *मंत्र का भावार्थ*📓
ईश्वर विद्वानों को आज्ञा देता है कि -तुम लोग एक जगह पाठशाला में अथवा इधर-उधर देश -देशांतरों में भ्रमते हुए अज्ञानी पुरुषों को विद्या रुपी ज्ञान देके विद्वान किया करो!कि जिससे सब मनुष्य लोग विद्या धर्म और श्रेष्ठ शिक्षा युक्त अच्छे-अच्छे कर्मों से युक्त होकर सदा सुखी रहें!
🧘 *मंत्र का सार तत्व*🧘
मानव का सबसे बड़ा शत्रु है *अविद्या यानि मिथ्या ज्ञान, विपरीत ज्ञान,उल्टा ज्ञान* जैंसे सूर्य का प्रकाश होते ही अंधकार को भगाना नहीं पड़ता है उसी प्रकार से विद्या के प्रकाश से *अज्ञान,कष्ट,वाधा , पीड़ा* स्वयं ही नष्ट हो जाती है। एक समय ऐसा भी था जब भारत देश में *सभी ब्राह्मण अर्थात् विद्वान* थे क्योंकि उस समय *४,३२००० हजार गांवों में ४,३२००० गुरुकुल थे* तब यह देश चक्रवर्ती सम्राट कहा जाता था।यह एक सामान्य बात है कि *शुद्ध ज्ञान के अभाव में कभी भी शुद्ध कर्म, शुद्ध उपासना* नहीं हो सकती।हमारी सरकारें चाहें वो कोई भी हों *राम-कृष्ण शंकर के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,चर्च व मठों* की जगह केवल 📙 विद्या मंदिर 📙 खोलें तो सारे विश्व से कुछ ही दिनों में *आतंकवाद जातिवाद सम्प्रदाय वाद मत पंथ मजहब समाप्त हो जायेंगे और पूरे विश्व में मानवता* जाग जायेगी।
किसी भी राष्ट्र का विकास का पहला मंत्र *विद्या दान होना चाहिए* । यही ईश्वर की प्रेरणा व आदेश है। ज्ञान से अतिरिक्त मानव को पवित्र करने वाली ओर कोई दूसरी वस्तु नहीं है इसलिए *राष्ट्र में योग्य शिक्षक व शिक्षण संस्थान* राष्ट्र की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।
आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*

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