अनुराग लक्ष्य, 13 मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है, साथ ही साहित्य ने हमेशा देश समाज और राष्ट्र की स्मिता के लिए हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चूंकि मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी इस देश का साहित्यकार और अदब नावाज़ हूं, तो मुझे बड़ी खुशी हुई कि थाने में बीती शाम साहित्य की शमां रोशन हुई, और मैंने इस साहित्य की खुशनुमा शाम को अनुराग लक्ष्य का हिस्सा बनाया।
आपको बताते चलें कि बीती शाम ठाणे में 12 मई 2024,को एक कायगोष्टी के साथ सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें संजय भारद्वाज जी (वरिष्ठ साहित्यकार, संपादक, समीक्षक, ( पुणे), अध्यक्षता- एन. बी. सिंह (नादान) वरिष्ठ ग़ज़लकार, मुख्य अतिथि- रेणु सक्सेना वरिष्ठ साहित्यकार व अंतरराष्ट्रीय गायिका व संचालिका, प्रमुख अतिथि- शिल्पा सोनटक्के वरिष्ठ साहित्यकार एवं गायिका, तथा संचालिका- आभा दवे वरिष्ठ साहित्यकार के बेहतरीन संचालन में बहुत ही अद्भुत कार्यक्रम हुआ। साहित्य के श़ख्सियत इंदिरा हिरदानी, मंगला बिर्ला, रामजी कनौजिया, डाॅ. वफा सुल्तानपुरी, उमाकांत वर्मा, दयाराम दर्द, बी. एल. शर्मा, श्रीराम शर्मा की अद्भुत अनमोल रचनाएं देश समाज परिवार परिवेश की जागृति के लिए समर्पित बहुत ही संदेशपूर्ण रहीं। उमाकांत वर्मा ने सभी विद्वान कवि कवयित्रियों एवं महानुभाओं को आभार व्यक्त किया।
इस अनोखी काव्य गोष्ठी के सम्मान में मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी, इतना तो कह ही सकता हूं कि,
,,कितना हसीं सफर हो साहित्य और अदब का
इक आंख में हों गालिब दूजे में गर निराला ।
हिन्दी अगर है धड़कन, उर्दू हमारी जां है,
आओ इन्हें ओढ़ा दें तहज़ीब का दुशाला ।।