🌹🌹 ओ३म् 🌹🌹
*संस्कार जैसा संसार वैसा*
यह सच्ची कहानी है जनपद बस्ती के लालगंज क्षेत्र के ग्राम वरतनिया की। जब यह बालक १२ वर्ष का था इसके पितामह *स्व०निर्भय मुनि*की प्रेरणा से इनके पिता श्री स्व० शिवशंकर जी ने इनका यज्ञोपवीत संस्कार कराया जिसमें मुझे पुरोहित बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यज्ञोपवीत से पूर्व तीन दिन का 🌼वैदिक सत्संग एवं वृहद अग्निहोत्र 🌼का कार्यक्रम चला।सभी सगे संबंधियों सहित जनपद के समस्त आर्य जन इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे और अनेक विद्वानों ने बालक आशीर्वाद प्रदान किया।उसी समय बालक को एक भीष्म प्रतिज्ञा कराई गई कि आपको 🍁पच्चीस वर्ष [२५] 🍁 तक ब्रह्मचर्य का पालन करना है। इस संकल्प को शत् प्रतिशत पूरा किया।
इस बालक का नाम है बृजेश कुमार [ राहुल] दूबे।अपनी भीष्म प्रतिज्ञा पूर्ण करने के बाद अभी लगभग २० दिन पूर्व गृहस्थाश्रम में 🌴देवी प्रीति 🌴 संग प्रवेश किया। आधुनिकता की दौड़ ९९% 🌹 विवाहित युगल दम्पति 🌹 अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए 🌸 आगरे का ताजमहल 🌸 बड़े बड़े 🌸 होटलों 🌸 रेस्टोरेंट 🌸 अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार लंदन आदि विदेशी पर्यटन स्थलों तक जाते हैं और आज का आधुनिक समाज उसे खूब बढ़ावा भी देता है तथा 🥝 दिल व दौलत🥝 दोनों का दिवाला निकाला जाता है।इतना ही नहीं युगल दम्पति भी मन ही मन खुश होते हैं कि हमने बहुत बड़ा तीर [ 🏹 ] मारा है।
मगर आर्य वीर राहुल जी ने एक सनातन इतिहास की पुनरावृत्ति की है।वो इस अवसर को यादगार बनाने के लिए अपनी धर्म पत्नी बेटी प्रीति और अपनी मातुश्री ऊर्मिला जी को लेकर आज प्रातः ही 🌻 आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी 🌻 स्थिति 🔥 वैदिक यज्ञशाला 🔥 पर पहुंच। यजमान पद को वरण किया।यज्ञ के उपरांत सपरिवार 📚 वेदोपदेश 📚 श्रवण किया। आश्रम की संचालिका 🏵️ पंडिता रुक्मिणी देवी 🏵️ वैदिक विदुषी द्वारा वेद मंत्रों से आशीर्वाद प्राप्त किया।
किसी भी चरित्रवान राष्ट्र का निर्माण वहां के चरित्र वान युवक -युवतियों से होता है।हमारी वैदिक धर्म की यही व्यवस्था है कि प्रत्येक कर्म को यज्ञ समझें और उसका प्रारंभ 🕉️ संध्या🕉️यज्ञ🕉️माता-पिता आचार्य🕉️ की सेवा🕉️न्याय पूर्वक धनोपार्जन 🕉️ व🕉️ मर्यादित व्यवहार से ही संभव है। हमें आशा है कि वृजेश दूबे जी भारत की इस सनातन परंपरा को आगे भी इसी क्रम से बढ़ाते रहेंगे। क्योंकि 🪷 अच्छे संस्कार से अच्छे संसार 🪷 का निर्माण होता है।।
🌼 आपका यू ट्यूब चैनल 🌼
##आचार्यवेदवाणी।