इस समय गेहूं की कटाई चल रही है। कटाई के उपरांत किसान भाई खेतों को खाली करने के लिए फसल अवशेषों को जलाना शुरू कर देते हैं इससे खेत खाली तो हो जाता है परंतु मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है इस पर विस्तृत चर्चा करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष प्रो. एस.एन. सिंह ने अवगत कराया कि यदि कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेत में जलाते हैं तो मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व जैसे 100% नाइट्रोजन , 25% फास्फोरस ,20% पोटाश एवं 60% सल्फर का नुकसान होता है तथा लाभदायक सूक्ष्म जीवों का नाश हो जाता है और केंचुआ मकड़ी जैसे मित्र कीटों की संख्या भी कम हो जाती है इसके साथ ही मिट्टी की भौतिक संरचना एवं गुणों पर प्रभाव पड़ता है पशुओं के लिए चारे में कमी आती है फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होता है तथा इसका प्रभाव मानव और पशुओं के अलावा मिट्टी के स्वास्थ्य एवं पशुओं के उत्पादन एवं और उत्पादकता पर पड़ता है इसलिए कटाई के बाद में खेत में बचे अवशेषों भूसा, घास फूस,पत्तियों पत्तियों को इकट्ठा करके गहरी जुताई करके जमीन में दवा दें और खेत में पानी भर दें तथा 20 से 25 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर कल्टीवेटर या रोटावेटर से कार्ड कमेटी में मिला देना चाहिए इस प्रकार अवशेष खेत में विघटित होना प्रारंभ कर देंगे तथा लगभग एक माह में स्वयं सड़कर आगे बोई जाने वाली फसल को पोषक तत्व प्रदान कर देंगे अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया बस्ती से संपर्क कर सकते हैं।