कोई उम्र को जीता है, कोई जीवन जीता है.
आओ प्रिये मिलकर हम जीवन को जिए.
हाथों में आपके नाम का हिना लगाया.
राष्ट्र के उन्नति उत्थान की गाथा गाया.
पूजा प्रार्थना आराधना प्रेम से सजाया.
जगत में स्वच्छता के आह्वान का जीवन तत्व समझाएं.
आओ…..
वर्षा की बूंदाबांदी प्रभात की लालिमा तुमसे जाना है.
अब हवा गाने लगी धूप तो नृत्य साथ करती है.
सामंजस्य समन्वय सहयोग हमेशा माना है.
सुमन सा खिलने का मकसद ले जिंदगी के साथ बह जाएं.
आओ…..
तुम हो पायल की रुनझुन कोमल ह्रदय की स्पंदन.
मीत मेरे कुंतल के फूल से हो सुहावन.
रखते पारदर्शिता करते खुशी की किलकारी मनभावन.
नेह शाश्वत है ,आत्म विवेक का सही तापमान बताएं.
आओ……..
योगेश्वर की कृपा से प्रेम को हमने जाना.
छिन्न-भिन्न किसी का हो ना मोहब्बत बताना.
भ्रम और हकीकत का अंतर प्रकृति को समझाना.
मेरी अर्चना हो यह राज सबको बताएं.
आओ….
विचारक साहित्यकार
डॉ अर्चना श्रेया