सत्संग का रहस्य – आचार्य सुरेश जोशी

🌼🌼 ओ३म् 🌼🌼
🥝 सत्संग का रहस्य 🥝
आज के यांत्रिक व भौतिकवादी युग में हर मनुष्य एक ही प्रश्न करता है कि 🌿 रोज सत्संग होते हैं सुधरती क्यों नहीं दुनिया?
🌻 उत्कृष्ट समाधान 🌻
जन-मानस में सत्संग की सही परिभाषा नहीं दी जाती है। अधिकांश आस्तिक लोग समझते हैं सत्संग का मतलब मंदिर में पूजा-अर्चना कीर्तन-भजन 🌸 मस्जिद में नमाज 🌸 गुरुद्वारा में अरदास🌸चर्च में प्रार्थना🌸नदियों में स्नान व तीर्थों का भ्रमण🌸 सत्संग की इस परिभाषा ने नास्तिकता का अधिक प्रचार प्रसार किया है।
🍁 सत्संग की सही ज्ञान 🍁
जिसके द्वारा सत्य ज्ञान की अनुभूति हो। बुद्धि की जड़ता दूर हो। वाणी सत्य से ओत-प्रोत हो।शरीर,मन,वाणी के पाप दूर हो।मन प्रसन्न हो। चारों ओर लोग लाभान्वित होकर यशगान करें उसका नाम है सत्संग।
जिस मनुष्य के जीवन में सत्संग परिलक्षित होता है उसमें चार विशेषताएं होती हैं।
🌴🌴 सत्य -आहार 🌴🌴
जिसका भोजन तामसिक है उससे भजन नहीं हो सकता।जिसे भक्ष्याभक्ष्य का ज्ञान नहीं उसका भजन कीर्तन, पूजा-अर्चना अरदास, प्रार्थना केवल इंद्रियों का मनोरंजन मात्र है। सात्विक आहार से ही सत्संग का लाभ हो सकता है।
🌴🌴 सत्य विचार 🌴🌴
विचार ही मानव का उत्थान व पतन करते हैं। जिसमें अहिंसा,दया, परोपकार,करुणा ,सत्य जिज्ञासा, सही-गलत को जानने का सामर्थ्य नहीं है उसे सत्संग से कोई लाभ नहीं होता।
तन से सेवा कीजिए।मन से भले विचार।।धन से इस संसार में करिए पर उपकार।।
🌴🌴 सत्य -व्यवहार 🌴🌴
जैसा आत्मा में हो।वैसा मन में हो। जैसा मन में हो वैसा वाणी में हो।जैसा वाणी में हो वैसा ही आचरण में व्यवहार हो।तभी सत्संग का लाभ होगा।
करनी कथनी भिन्न जहां।
धर्म नहीं पाखंड वहां।।१!!
कहते हैं करते नहीं,सो तो बड़े लबारी।
आखिर धक्का खायेंगे साईं के
दरबार।।
🌴🌴 सत्य का संग 🌴🌴
संसार में सत्य व झूठ दोनों मिला है। ईश्वर व ईश्वर की रचना सत्य है परंतु मानव राग-द्वेष, स्वार्थ,मोह, अहंकार में अपनी अलग दुनिया बनाकर उसमें मकड़ी की तरह उलझ जाता है।
ज्ञान बढ़े गुणवान के संगत।
ध्यान बढ़े तपसी संग कीजै ।
मोह बढ़े परिवार की संगत।
लोभ बढ़े धन में चित्त दीन्हे।
क्रोध बढ़े नर मूढ़ के संगत।
काम बढ़े विषयी संग कीन्हे।
बुद्धि विवेक विचार बढ़े।
कवि दीन कहे सज्जन संग कीजै।।
इस प्रकार वैदिक धर्म शास्त्रों के स्वाध्याय। वैदिक विद्वानों के अनुकरण व प्रतिदिन ईश्वर का बुद्धि पूर्वक ध्यान से ही मनुष्य सत्संग को समझ कर स्वयं भी मोक्ष को पा सकता है और संसार को भव सागर से पार करने का रास्ता दिखा सकता है।तभी सत्संग से दुनिया सुधर सकती है।
जनपद संत कबीर नगर के ग्राम गजाधर पुर में चल रहे वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार में सत्संग विषय पर विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर पंडिता रुक्मिणी जोशी वैदिक भजनोपदेशिका ने व पंडित नेम प्रकाश आधुनिक अर्जुन ने अपने वैदिक भजनों से श्रोताओं को भाव विभोर किया।
आचार्य सुरेश जोशी

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