सत्य साईं संस्थान द्वारा जून माह में होने वाले कार्यशालाओं को लेकर सचिवों के साथ करेंगे बैठक : सुशांत

 

भारतवर्ष की प्रसिद्ध सत्य साईं इंस्टीट्यूट आफ हायर लर्निंग संस्थान कर्नाटक के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से मानव मूल्यों को आधुनिक शिक्षा का आयाम से जोड़कर आज के विद्यार्थियों को बढ़ाने हेतु भारत के प्रत्येक राज्यों से चुनिंदा शिक्षकों की एक कार्यशाला का आयोजन जून माह में प्रस्तावित किया गया है।
जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक करके इस प्रक्रिया का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी बस्ती जनपद के रुधौली नगर पंचायत के निवासी प्रैक्सिस विद्यापीठ के प्रबंधक एवं नई शिक्षा नीति 2020 भारत सरकार के सदस्य रह चुके सुशांत कुमार पाण्डेय को मिली है। जिसकी सूचना पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई उत्तर प्रदेश के एक युवा एवं होनहार सुशांत को इस जिम्मेदारी को देखते हुए लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
इस दौरान सुशांत पाण्डेय ने बताया सत्य साईं इंस्टीट्यूट आफ हायर लर्निंग संस्थान की तरफ से प्रथम संस्करण में उत्तर पूर्व राज्यों के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक करेंगे जिसमें असम नगालैंड और सिक्किम के मुख्य सचिव (शिक्षा से संबद्ध) के साथ बैठक प्रस्तावित है जो क्रमशः 6 फरवरी को असम के मुख्य सचिव, 7 फरवरी को नागालैंड के मुख्य सचिव एवं 8 फरवरी को सिक्किम के मुख्य सचिव के साथ बैठक प्रस्तावित है। सुशांत ने बताया कि सत्य साईं इंस्टीट्यूट संस्थान द्वारा यह जिम्मेदारी मिलना एक अच्छा अवसर है। इसके पहले भी अपने बेहतर कार्यों से वर्ष 2020 में भारत की नई शिक्षा नीति में सदस्य रहने का अवसर प्राप्त किया है। इस अवसर को साझा करने व उत्तर प्रदेश के शिक्षकों की तरफ से अच्छी कार्यशाला देने की बात कही है। इसके लिए पूरी तरह से खुद को तैयार किया हैं उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत के बच्चों को सर्वांगीण विकास करने में मदद मिल सके ऐसा प्रयास रहेगा।

सुशांत पाण्डेय ने बताया कि भारत ने विश्व को आध्यात्मिकता का अमूल्य योगदान दिया है समय-समय पर महान विभूतियां ने भी नैतिकता और परोपकार का संदेश भी फैलाया है। श्री सत्य साईं बाबा का एक ऐसा महान व्यक्तित्व था जिनके आशीर्वाद से लोग लाभान्वित होते रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे उन्होंने शिक्षा की अवधारणा सहित अपनी परंपरा को जीवित बनाए रखा है। जीवन के मूल्य और नैतिकता को वास्तविक शिक्षा बताते हुए कहा है कि प्रत्येक छात्र-छात्राएं सत्य, अच्छा आचरण, शांति, स्नेह और अहिंसा के मूल्यों को विकसित कर अपना समग्र विकास कर सकते हैं। सत्य साईं इंस्टीट्यूट शिक्षण प्रक्रिया में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावात्मक और आध्यात्मिक आयाम को शामिल कर इंसान के व्यक्तित्व को विकसित करने का कार्य किया है। प्रतिस्पर्धा के इस युग में शैक्षणिक उत्कृष्टता अर्जित करने के बढ़ते दबाव के कारण छात्रों के बीच तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने छात्रों को कहा कि परीक्षाओं में सफलता ही उनकी क्षमताओं का एकमात्र पैमाना नहीं है। उनका व्यक्तित्व, आचरण और चरित्र उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने माता-पिता एवं शैक्षणिक संस्थानों से भी आग्रह किया कि वे छात्रों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करें और उन्हें अपनी इच्छा के अनुरुप कैरियर का चुनाव करने और उसे आगे बढ़ाने में सहायता करें।

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