जोश और सीने मैं फौलादी जिगर भी देना- असलम तारिक

ग़ज़ल 

या खुदा ऐसा कोई मुझको हुनर भी देना
बांटू खुशियों के जहाँ में वो गुहर भी देना

इक ज़माना हुआ दीदार किये खुशियों का
दिल हो मसरूर कोई ऐसी खबर भी देना

मैने इस आस में आँगन में लगाया है शजर
दिल की ख्वाहिश हैँ खुदा इसमें समर भी देना

नफरतों ज़ुल्मो तशद्दूद को मिटाने के लिए
जोश और सीने मैं फौलादी जिगर भी देना

तायरे फ़िक्र बुलंदी का है तालिब उसको
उड़ने को हौसले के साथ में पर भी देना

पैकरे हुस्न को देखा नहीं मुद्द्त गुज़री
जब कभी मिलना मुझे उसकी खबर भी देना

नेकियों से मै रज़ा तेरी हमेशा पाऊं
इस क़दर मेरी दुआओं में असर भी देना

ज़िन्दगी खुशियों गमों का है अनोखा संगम
ज़ेर देना तो कभी मुझको ज़बर भी देना

नेक और बद को मै पहचान सकूं रब्बे करीम
ऐसी तारिक़ की निगाहों को नज़र भी देना

 

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