अनुराग लक्ष्य, 11 नवंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
मुंबई की सरजमीन से मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी समस्त देश वासियों को दीपावली की अनन्त शुभकामनाएं पेश करता हूं, और समस्त देश वासियों के खुशहाल जीवन और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।साथ ही यह निवेदन भी करता हू कि,
,, दिये जलाओ प्यार के पर इतना रहे खयाल
औरों को खुशियाँ मिलें और तुम भी हो खुशहाल
कोई न भूका रह जाए, कोई न प्यासा मर जाए
प्यार की दौलत बांट के सबको करदो मालामाल,,
अंधकार पर परकाश की विजय कहें या बुराई पर अच्छाई की विजय, सही मायनों में दीपावली हमें यही संदेश देती है। जिसे हम भारतवासी अपनी संस्कृति और सभ्यता की पहचान भी मानते हैं। वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है, लेकिन जो शाश्वत है वोह हैं दिलों के रिश्ते और उनके अटूट बंधन। जो होली , दीपावली और ईद हमें हर वर्ष यही पैगाम सुनाकर हमसे गुज़र जाती है। जिसका हम भारत वासी बखूबी निर्वहन भी करते हैं।
सही मायनों में हमारी दीपावली तभी सार्थक मानी जायेगी कि जब हम किसी गिरते हुए को थाम लें या किसी ज़रूरत मंद की ज़रूरत पूरी करदें। नफरतों की खाई को पाटकर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में एक जुट होकर देश के दुश्मनों को यह बतादें कि भारत हमारे दिलों में बसता है और इसकी सच्ची तस्वीर सिर्फ प्यार है। जाति पाती और धर्म मज़हब नहीं। क्योंकि हमारा देश जिस दौर से गुज़र रहा है, ऐसे हालात में यह कहना जरूरी हो जाता है कि,
,, जिधर भी देखिए गम की लकीर काली है
किसी के घर में अंधेरा कहीं दिवाली है
अजीब रीत है दुनिया बनाने वाले की
कोई यहां पे शहंशाह कोई सवाली है,,,
,,,,,,,, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,,