बस्ती 31 अक्टूबर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के लालगंज थाना क्षेत्र के शोभनपार गांव में सोमवार की शाम का दृश्य अत्यंत भयावह था चारों, तरफ शोर, रोने की आवाज, दिल को कंपा दे रहे थे ऐसा लगता था जैसे कि मानो पहाड़ टूट पड़ा हो पोस्टमार्टम के बाद रिंकू(26) की डेडबाडी जैसी ही पहुंची ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। हाथों में गांव के लाडले की डेडबाडी, आखों में आंसू, चेहरे पर गम व गुस्सा साफतौर दिखा। पहले शव को रख कर प्रदर्शन की तैयारी थी लेकिन कई थानों की पुलिस अधिकारियों के मान-मनौवल के बाद शांत हुए ग्रामीण शव को अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए। इसके बाद कुआनो नदी के बड़गो घाट पर देर शाम को ले गए। पिता रामशब्द ने कांपते हाथों से अपने बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। ग्रामीणों ने पुलिस के विरुद्ध जमकर भड़ास निकाली। लोग थानाध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि अगर समय रहते पुलिस अलर्ट रहती तो यह घटना टाली जा सकती थी। थानाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह को भी जिम्मेवार ठहरा रहे थे। मामले में उनका सुस्त रवैया जिम्मेदार रहा। पुलिस को सूचना देने के बाद भी गंभीरता से नही लिया गया। गांव में गम और गुस्से का माहौल बना हुआ है। गौरतलब है कि दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान दो पूजा कमेटियों बीच हुई मारपीट के बाद एक पक्ष के लोगों की ओर से गोलबंद होकर के शोभनपार निवासी रिंकू व अन्य तीन लोगों पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमें घटना के दूसरे दिन रिंकू की मेडिकल कालेज लखनऊ ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई।
रिंकू की हत्या के बाद गांव के अधिकांश लोग गुस्से में दिखे। लोग इस घटना को लेकर विरोधी को कोसते रहे। रिंकू के हत्या पर परिवार के सभी लोग बेसुध हो गए। परिवार में मातमी छा गया है। स्वजन चीत्कार मार कर दहाड़ रहे थे। ग्रामीणों ने इस घटना में शामिल सभी लोगों को अविलंब गिरफ्तार करने व मृतक के आश्रितों को मुआवजे की मांग करते रहे।
उसकी पत्नी ने कहाजैसे तड़पा-तड़पाकर मेरे पति को मारा, वैसी ही सजा उनको मिले -पति प्रतिमा विसर्जन कर आने की बात कहकर घर से निकले थे, हमें नहीं पता था कि वो अब कभी वापस नहीं आएंगे। उन जालिम दूसरे गांव वालों ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। उनके बिना हमारी जिंदगी कैसे चलेगी? पत्नी सुभावती ने बोला कि जैसे तड़प-तड़प कर मेरे पति की मौत हुई है, वैसी ही सजा उनको पीटने वालों को मिलनी चाहिए। मेरे पति की हत्या साजिश से की गई है। हमें कुछ नहीं चाहिए बस खून के बदले खून चाहिए। मृतक आन्ध्र प्रदेश में रह कर पूरे घर का खर्च चला रहा था। खेतीबाड़ी भी नहीं है पिता घर के बगल एक गुमटी में सामान रखकर बेंचता है। गुमटी के अलावा अब कमाई का कोई स्रोत नहीं है। मृतक अपने मां-बाप के दो बेटा व दो बेटी में सबसे बड़ा था जिसमें एक बहन की शादी हो गई है एक भाई व एक बहन की शादी बाकी है। मृतक के दो बेटे युवराज 8 व शिवराज 6 वर्ष, पत्नी सुभावती, दिव्यांग मां व बवाल में घायल पिता रामशब्द का रो रो कर बुरा हाल है। दो भाई तथा दो बहनों में रिंकू सबसे बड़ा था , बहन रीमा की शादी हो गई है , वा छोटी बहन कंचन दसवीं की छात्रा है विकलांग मां भानमति का रो-रो कर बुरा हाल है , छोटा भाई ओंकार व पिता रामशब्द भी विसर्जन के दौरान चोटिल हो गए है इन दोनों के सिर में भी चोट आई है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रतिमा विसर्जन को लेकर हुई घटना के आरोपियों में ग्राम पंचायत नेवारी (केवटहिया) के निवासी अनिल कुमार निषाद, महेश कुमार निषाद, रामबहाल निषाद, आशाराम, मंशाराम, गंगाराम, रामअवतार व रामभारत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।