अनुराग लक्ष्य, 27 अक्टूबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता ।
,,खुदा के कितने करीब होगा वोह बनदा सोचो ऐ मोमिनों तुम
जिला दे मुर्दे जो ठोकरों से अब ऐसा कोई बशर नहीं है
हमारे संग तो निकल पड़े हो, संभल संभल का कदम बढ़ाना, यह शहर ए बगदाद की हैं गलियां, यह नजदियत का नगर नहीं है,,
यह है मेरे मोहसिन ए आज़म, मेरी अकीदत और मुहब्बत के मरकज शहन शाह ए बगदाद पीरान ए पीर दस्तगीर सरकार ए गौस ए आज़म की करामत, जिन्होंने अपनी हयात ए मुबारका में मुर्दों को अपनी ठोकरों से ज़िंदा कर दिया करते थे। दुनिया जिन्हें आज भी और रहती दुनिया तक अपने अकीदत के फूल और नज़राने पेश करती रहेगी।
सरकार ए गौस ए पाक की करामात का अगर बखान किया जाए तो सुबह से शाम और रात से सुबह हो जायेगी लेकिन उनके करामत और इल्म की दास्तान खत्म नहीं होगी।
एक जो सबसे बड़ी करामत है वोह यह है कि मेरे सरकार ए गौस ए पाक का कौल है कि जब मेरा चाहने वाला दुनिया की किसी गोशे से मुझे याद करता है, तो मैं उसे ऐसे देखता हूं, जैसे हथेली पर चावल का दाना। और,इससे भी बड़ी बात यह कि मेरे सरकार ए गौस ए पाक ही एक वाहिद ऐसे वली हैं जिन्होंने मेरे रब से यह वादा लिया है कि जब तक मेरा एक एक मुरीद, और मेरा एक एक चाहने वाला जन्नत में दाखिल नहीं हो जायेगा, में जन्नत में नहीं जाऊंगा, और मेरे रब ने इसे कुबूल भी फरमाया।
आज इस मुकद्दस तारीख की इस्लाम में बड़ी अहमियत है क्योंकि यह मेरे शहंशाह ए बगदाद की अकीदत और मुहब्बत से जुड़ी हुई है। पूरी दुनिया आज खुशियों में झूम रही है और सरकार ए गौस ए पाक के फ़ैजान से मालामाल हो रही है।
मुंबई भी इससे अछूती नहीं रही। पूरी रात जलसे और तकरीरों में पीरान ए पीर रोशन ज़मीर सरकार गौस ए पाक की शक्सियात पर उल्मा हजरात ने अपने अपने अंदाज़ में आपके शान और मरतबे का बखान किया।
धरावी، सायन, एंटोफिल, कर्बला मस्जिद, वडाला, मुहम्मद अली रोड, ज़करिया मस्जिद, कराफट मार्केट, मदनपुरा, दादर, माहिम, बांद्रा, कुर्ला, चेंबूर, गोवंडी , बैगनबाड़ी, चीता कैंप, अंधेरी, गोरेगांव, जोगेश्वरी, मलाड, कांदिवली, बोरीवली, वर्सोवा, थाने, मुंब्रा, कल्याण, भिवंडी सहित पूरी मुंबई गेयरहवी शरीफ को अपने अपने अंदाज़ में मेरे मोहसिन ए आजम सरकार ए गौस ए पाक को खेराज ए अकीदत पेश कर रही है। सुबह होते ही जुलूस का एकतेमाम शुरू हो गया है। बच्चे बूढ़े जवान और मुहल्ले के कमेटी वाले अपने अपने जुलूस को सड़कों पर लेकर ,, या गौस अल्मदद,, के नारों से फिज़ा में परचम ए इस्लाम लहरा रहे हैं।
मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी और अनुराग लक्ष्य परिवार की तरफ से तमाम आलम ए इस्लाम के साथ समस्त देश वासियों की गेयराहवी शरीफ की दिली मुबारक बाद पेश करते है, इस शेर के साथ, कि
,,जो दिन शोले उगलते हों और रातें हों कयामत सी
वहां भी आपका साया मेरे महबूब ए सुबहानी
यकीं है जाऊंगा जिस दिन सलीम बगदादी चौखट पर
बदल जायेगा यह खाका मेरे महबूब ए सुबहानी,,,,
,,,,,,पेशकश, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,