🌴🌴🌴ओ३म् 🌴🌴🌴
🌻 नवमी तिथि संवाद 🌻
🌐🌐शंका-समाधान🌐🌐
हम अपने धर्म शास्त्रों का अध्ययन करते नहीं है।जिसने जो कह दिया। जिससे जो सुन लिया उसे 🧘 सत्यवचन 🧘 महाराज कह कर मां लेते हैं।ऐसी कुछ काल्पनिक मान्यताएं हिंदू समाज हैं उन पर 🌿शास्त्रीय दृष्टिकोण 🌿 प्रस्तुत है जिससे हमारी भ्रांतियां दूर हो सके।
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(1) प्रश्न :- क्या रावण के दस सिर थे ?
उत्तर :- नहीं रावण ४ वेदों और ६ शास्त्रों का विद्वान था । तो जिसके कारण उसको दस दिमाग वाला दशानन कहा जाता था । तो इसी कारण ४+६ = १०, उसको दशानन कहा जाता है । जिसका अर्थ दस सिर कदापि नहीं है ।🌿
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(2) प्रश्न :- क्या हनुमान जी बंदर थे ? और उनकी पूछ भी थी
उत्तर :- नहीं वे मनुष्य थे । क्योंकि जिस जाती के वे थे वह वानर जाती कहलाती है । और जैसे भील नामक जाती थी वैसे ही वानर भी थी । वानर का तात्पर्य 🐵बंदर 🐵कभी नहीं होता है । और पूछ वाली बात तुलसी कृत रामायण में आती है । वाल्मिक रामायण में ऐसी गप्पें नहीं हैं । आजकल जो TV serial रामायण पर बनते हैं वे भी तुलसी की रामायण के आधार पर बनते हैं । जिसके कारण लोगों के मनों में यह पूछ वाले हनुमान जी बैठ गये हैं ! अपनी गदा लेकर !! और serial बनाने वालों से पूछना चाहिये कि जिन वानरों को आप Tv में बंदर मुखी दिखाते हो , तो उनकी स्त्रीयों को वैसा क्यों नहीं दिखाते ? क्यों वे मानवी ही होती हैं ? क्यों नहीं उनके भी पूछ और बंदर का मुख होता ?
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(3) प्रश्न :- क्या महाभारत के कृष्ण की १६००० रानियां थीं ?
उत्तर :- नहीं उनकी एक ही रानी थी । जिसका नाम रुक्मिणी था । ये १६००० वाली बकवास भागवत पुराण जैसे
मिथ्या ग्रन्थ में लिखी हैं। जरा सोचें । यह भागवत पुराण मिथ्या चारियों ने अपने पाप छुपाने के लिये कृष्ण पर मिथ्या दोष लगाये हैं ।
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(4) प्रश्न :- क्या कृष्ण गोपियों से क्रीड़ा करते थे ? और जब वे तालाब में नहातीं तो वे उनके कपड़े ले भागते थे ?
उत्तर :- नहीं, कृष्ण का जन्म होते ही वह कुछ वर्ष अपनी प्रथम आयु के वहाँ रहे । करीब ६ वर्ष तक वह वृंदावन में खेलते कूदते रहे । और फिर अवन्तिका पुरी में सांदिपनि के गुरुकुल में भेजा गया । तो वह ३० वर्ष की आयु तक विद्या प्राप्त करके वापिस आये और आकर उनको मथुरा में जन संघ की स्थापना करनी थी । कंस का चक्रव्यूह तोड़ कर । तो उसके पश्चात वे कौरवों और पांडवों के कलह मिटाने को हस्तिनापुर और विदेह आदि राज्यों के चक्कर काटते रहे । तो यह रास रचाने और कपड़े उठाने का समय उनको कब मिला ? यह झूठी बातें भागवत में लिखी हैं ।
(5) प्रश्न :- क्या ब्रह्मा के चार मुख थे ?
उत्तर :- नहीं , ब्रह्मा का एक ही मुख था ।
चारों वेदों के प्रकांड विद्वान को चार मुख वाला कहा जाता था।
इस प्रकार अनेकों भ्रांतियां हैं।इसका एक मात्र कारण है।न तो हम स्वाध्याय करते हैं और न ही परमात्मा की थी हुई बुद्धि से निष्पक्ष चिंतन करते हैं।हमारी यही उदासीनता हमें पाखंड, अंधविश्वास के गर्त में ढकेल देती है।आओ सत्य को जाने। मानें और लोगों को जनावें।प्रत्येक मनुष्य को अपनी विद्या की वृद्धि और अविद्या यानि अज्ञानता का नाश करन चाहिए।यही मानव की मानवता है। संसार में विद्यमान धन ही सर्वश्रेष्ठ धन है और केवल मानव शरीर में ही इस धन को पर्याप्त किया जा सकता है।अत:अपने व्यस्तम समय से कुछ समय प्रतिदिन ऐसा भी निकालो जिससे विद्या के द्वारा आत्मा का विकास और परमात्मा की प्राप्ति हो सके। और मानव जन्म भी सफल हो जाए।
आचार्य सुरेश वैदिक प्रवक्ता
🌳🌳 एवं 🌳🌳
पंडिता रुक्मिणी जोशी वैदिक
आर्य्यावर्त्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उ०प्र