हर कोई अपना दायरा समझे -विनोद उपाध्याय हर्षित

ग़ज़ल

सारी दुनिया से हम जुदा समझे।
तुमको मंजिल का रास्ता समझे।।

प्यार समझे कि हादसा समझे ।
उसके लहज़े से आप क्या समझे।।

झूठ का है लिवास ओढे सब।
कोई ख़ुद को न पारसा समझे।।

प्यार का हर सफर सुहाना है।
बस कोई प्यार की अदा समझे।।

फासले दरमियां तो आएंगे ।
जो वफ़ा को भी बेवफा समझे।।

जिंदगी मौत के है साए में ।
हर कोई अपना दायरा समझे।।

नेकियां करता जा तू ऐ हर्षित।
आदमी अच्छा या बुरा समझे।।

विनोद उपाध्याय हर्षित

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