दुनिया की नेमतों से सबसे बड़ी नेमत मेरे आका, मौलाना अजमल हुसैन अल्वी

अनुराग लक्ष्य, 7 अक्टूबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता ।
त्वारीख शाहिद है और इतिहास साक्षी है कि आज से चौदह सौ साल पहले मेरे आका सरकार ए मदीना मुस्तफा जान ए रहमत जब दुनिया में तशरीफ लाए तो ज़ुल्म के बादल छंट गए, सहराओं में शादाबियत आ गई, अदल ओ इंसाफ आम हो गया और इंसानियत की कंदीले जेहालत की तारीकियों को मिटा कर अमन और शांति का पैगाम आम हो गया। साथ ही इस कायनात पर खुदा ने उन्हें दुनिया की नेमतों में सबसे बड़ी नेमत बनाकर भेजा। 55 मिनट की इस तकरीर में मौलाना ने समाज की कुरीतियों और बुराइयों से बचने के लिए इंसान को वोह रास्ता भी बताया, जिस पर चलकर मुसलमान अपने ईमान की हिफाज़त कर सके।
उपरोक्त उदगार मुंब्रा में आयोजित एक जश्न ए ईद मीलादुन्नबी के मौके पर हज़रत ए अल्लामा मौलाना अजमल हुसैन अल्वी ने अपनी तकरीर में कहीं।
यह जलसा आगवान गोट फॉर्म के तत्वाधान में आयोजित शाहजान ढाबे के विशाल सभागार में किया गया। असलम आगवान और अशरफ आगवान की सरपरस्ती में आयोजित इस जश्न ए ईद मिलादुन्नबी में कई नामी गिरामी शायरों की शिरकत से यह कार्यक्रम एक सफल आयोजन में तब्दील हो गया।
अनुराग लक्ष्य के मुंबई संवाददाता , शायर एवं गीतकार सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने अपना कलाम,
,,या रब दर ए हबीब का सदका मुझे भी दे
खुल्द ए बरीं को जाए जो रस्ता मुझे भी दे
माना कि गुनहगार हूं बदकार हूं बहुत
गर हो सके जियारत ए काबा मुझे भी दे,,
सुनाकर भरपूर दाद ओ तहसीन हासिल की।
इसी क्रम में इम्तेयाज शेख का कलाम,
,, अर्श ए बरीं के नूर का जलवा तुम्हीं तो हो
यानी अहद में मीम का परदा तुम्हीं तो हो ,,
सुनाकर महफिल को नई रंगत दी।
इसी क्रम में दानिश रजा ने आला हजरत का कलाम,
वाह क्या करम है जूदो शह ए बतहा तेरा
नहीं सुनता ही नहीं, मांगने वाला तेरा,,
सुनाकर अपनी मौजूदगी का एहसास कराया।
तरन्नुम गोंडवी का कलाम कुछ इस तरह रहा,
नूर ए हक के जलवों ने दिल को जगमगा डाला
मुस्तफा की आमद ने ज़ुल्म को मिटा डाला,,
सुनाकर महफिल को खुशनुमा बना दिया।
जलसे की नेजामत यूसुफ शेख ने की और जलसे का आगाज़ मौलाना कारी सदर ए आलम साहब के तिलावत ए कुरआन से हुआ।

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