बस्ती 4 अक्टूबर , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा है कि आजादी की लड़ाई में आर्य समाज का बहुत बड़ा योगदान है जिसको भुलाया नही जा सकता है।
आज आर्य समाज,नई बाजार बस्ती की स्वर्ण जयंती समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के उपदेशों को अपना कर समाज को जागरूक किया जाये जिससे आने वाले समय मे हमे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न होने पाये। अंग्रेजों द्वारा जब धर्मांतरण कराया जा रहा था उस समय आर्य समाज आगे आकर लोगों को जागरूक करा रहा था , आजादी की लड़ाई में आर्य समाज की अहम भूमिका है, सर्व समाज को शिक्षित करने के लिए आर्य समाज ने जो अलख जगाई थी उसका विस्त्री करण करने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने वैदिक प्रार्थना का शुभारंभ कराया जिसको आर्य समाज निरंतर आगे बढ़ा रहा है। वर्ष 1886 में डीएवी (दयानंद एंग्लो वैदिक) स्कूल अस्तित्व में आया पहला डीएवी स्कूल लाहौर में स्थापित किया गया और महात्मा हंसराज इसके प्रधानाध्यापक हुआ करते थे।
उन्होने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने देश भर के अकादमिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों से समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ ही उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज के योगदान पर शोध कार्य करने का आह्वान किया है।इस शोध से देश को बहुत कुछ मिलेगा और हमारा सामाज और जागरूक होगा।उन्होंने कहा कि 1995 में जब आर्य समाज का बस्ती में विस्तृत कारण हो रहा था तब मुझे गोरखपुर से पहली बार बस्ती में आना हुआ था और मैं इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। वर्तमान समय में आर्य समाज नई बाजार के प्रधान ओमप्रकाश आर्य द्वारा आर्य समाज को जागरूक करने के साथ-साथ हर घर यज्ञ करवाने का जो कार्य किया जा रहा है बहुत ही प्रशंसनीय है। 1995 से आज तक मै 16 बार आर्य समाज के कार्यक्रम मे आया हूं। उनके द्वारा पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार करके आर्य समाज के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जो कार्य किया जा रहा है एक दिन ये कार्य मिल का पत्थर साबित होगा। आर्य समाज से सभी लोग निरंतर जुड़ रहे हैं।19वीं शताब्दी में भारत में समाज सुधार के आंदोलनों में आर्यसमाज अग्रणी था। दलितो के उद्धार में सबसे पहला कदम आर्यसमाज ने उठाया था बालिकाओं की शिक्षा की जरूरत सबसे आर्यसमाज नेे समझी थी।